अमेरिका के टैरिफ लगाने पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने प्रतिक्रिया करते हुए कहा,अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में व्यापार को लेकर खींचतान बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख का भी बयान सामने आया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि व्यापार दबाव में नहीं बल्कि बराबरी और संतुलन के आधार पर होना चाहिए।
RSS प्रमुख का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। इस फैसले से भारतीय व्यापार जगत और उद्योगपतियों में चिंता का माहौल है। भारत लंबे समय से यह कहता आया है कि दोनों देशों के बीच व्यापार सहयोग और साझेदारी के आधार पर होना चाहिए, लेकिन अमेरिका बार-बार टैरिफ बढ़ाकर दबाव की स्थिति बनाता है।
दबाव की राजनीति पर सवाल
RSS प्रमुख ने अपने बयान में यह भी कहा कि दबाव की राजनीति से कभी भी स्वस्थ व्यापारिक संबंध नहीं बन सकते। जब दो देश आपसी सम्मान और विश्वास के साथ व्यापार करते हैं, तभी दोनों को लाभ होता है। लेकिन जब किसी एक पक्ष द्वारा दूसरे पर टैरिफ या प्रतिबंध का दबाव बनाया जाता है तो उसका असर सीधे-सीधे आम जनता और व्यापारियों पर पड़ता है।
उद्योग में चिंता
अमेरिकी टैरिफ का सबसे बड़ा असर भारतीय छोटे और मध्यम उद्योगों पर पड़ सकता है। अमेरिका भारत का एक बड़ा निर्यात बाज़ार है। जब टैरिफ बढ़ेगा तो भारतीय वस्तुएँ अमेरिकी बाज़ार में महंगी हो जाएँगी और उनकी प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी। इसका असर सीधे रोजगार और उत्पादन पर भी पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश
RSS प्रमुख का यह बयान केवल भारत-अमेरिका संबंधों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए भी एक संदेश है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी भी देश के साथ व्यापार तभी सफल होगा जब दोनों बराबरी की स्थिति में हों। दबाव बनाकर हासिल की गई कभी टिकाऊ नहीं होती।
सरकार के लिए संकेत
RSS प्रमुख के बयान को भारत सरकार के लिए भी एक संकेत माना जा रहा है। क्योंकि RSS का सरकार की नीतियों पर सीधा असर होता है, ऐसे में यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि भारत को भी अब अमेरिका की दबाव की नीति का ठोस जवाब देना चाहिए। सरकार पहले ही कह चुकी है कि भारत किसी भी तरह के दबाव में झुकने वाला नहीं है और वह अपने हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाएगी।
निष्कर्ष
अमेरिका और भारत दोनों ही बड़े लोकतांत्रिक देश हैं और दोनों की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे पर काफी हद तक निर्भर भी है। ऐसे में यह जरूरी है कि व्यापार में संतुलन बना रहे। RSS प्रमुख का बयान इसी बात को रेखांकित करता है कि व्यापार केवल बराबरी, विश्वास और सहयोग पर टिका होना चाहिए, न कि दबाव और टकराव पर।
ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे ।धन्यवाद!
