आसाराम बापू को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी अंतरिम ज़मानत बढ़ाने से साफ़ इंकार कर दिया है और उन्हें आदेश दिया है कि वे 30 अगस्त 2025 तक जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर करें। कोर्ट का यह फैसला उनके समर्थकों और परिवार के लिए बड़ा आघात माना जा रहा है।
हाईकोर्ट का शख्त कदम:
राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर शामिल थे, उन्होंने अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान से अध्ययन करने के बाद यह निर्णय सुनाया। रिपोर्ट में साफ़ कहा गया कि आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति इस समय स्थिर है और उन्हें किसी गंभीर इलाज की आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उनकी ज़मानत को आगे बढ़ाने का कोई औचित्य अदालत को नज़र नहीं आया।
कोर्ट ने दी कुछ राहत:
हालाँकि अदालत ने जेल प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि आसाराम बापू की उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें व्हीलचेयर की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। इसके अलावा एक सहयोगी को भी जेल में उनके साथ रहने की अनुमति दी जाएगी ताकि उनकी देखभाल हो सके। ज़रूरत पड़ने पर उन्हें AIIMS जोधपुर में मेडिकल चेकअप की भी अनुमति होगी।
क्यों बढ़ी थी ज़मानत की मांग?
आसाराम बापू ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देते हुए ज़मानत अवधि को और आगे बढ़ाने की मांग की थी। उनके वकीलों का कहना था कि उम्र ज्यादा होने की वजह से उन्हें लगातार इलाज की ज़रूरत है। लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि मेडिकल रिपोर्ट में उन्हें गंभीर रूप से बीमार नहीं बताया गया है, इसलिए इस आधार पर ज़मानत नहीं दी जा सकती।
आसाराम बापू को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया गया था और फिलहाल वे उम्रकैद की सज़ा काट रहे हैं। इस बीच कई बार वे स्वास्थ्य कारणों से ज़मानत पर बाहर आए हैं। मगर अब कोर्ट का रुख लगातार सख्त होता जा रहा है।
असर और प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद आसाराम समर्थकों में मायूसी है। उनका कहना है कि उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए कोर्ट को मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था। वहीं कानूनी जानकारों का मानना है कि यह फैसला इस बात का संकेत है कि अदालतें अब बार-बार की ज़मानत याचिकाओं पर ढील देने के मूड में नहीं हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब आसाराम बापू को 30 अगस्त तक हर हाल में सरेंडर करना होगा। यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और अदालतें चाहे कितने बड़े व्यक्ति क्यों न हों, उनके खिलाफ़ कड़ा रुख अपना सकती हैं।
