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कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2025: मीराबाई चानू ने रचा इतिहास और जीता गोल्ड मेडल

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2025 में मीराबाई चानू ने गोल्ड मेडल जीत कर भारत का नाम एक बार फिर खेल जगत में ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।अहमदाबाद में आयोजित कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में भारत की स्टार वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने 48 किलोग्राम वर्ग में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह जीत सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि लाखों भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

मीराबाई चानू

मीराबाई चानू ने स्नैच में 84 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 109 किलोग्राम वजन उठाकर कुल 193 किलोग्राम का नया रिकॉर्ड बनाया। इस प्रदर्शन के साथ उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में तीन नए रिकॉर्ड भी अपने नाम किए। यह उपलब्धि उनकी मेहनत और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रमाण है।

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2025

संघर्ष से सफलता:

मीराबाई चानू का करियर हमेशा आसान नहीं रहा। चोटों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। कई बार उन्हें लंबे समय तक अभ्यास से दूर रहना पड़ा, लेकिन हर बार उन्होंने पहले से ज्यादा मजबूती के साथ वापसी की। यह जीत उनके संघर्षपूर्ण सफर की झलक दिखाती है और यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंज़िल असंभव नहीं।

देश का गौरव:

अहमदाबाद की इस प्रतियोगिता में जब मीराबाई ने अंतिम लिफ्ट सफलतापूर्वक पूरी की, तो पूरे स्टेडियम में भारत माता की जयकार गूँज उठी। यह पल भारतीय के लिए गर्व का था। गोल्ड मेडल जीतकर मीराबाई ने न सिर्फ भारत को सम्मान दिलाया, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी यह संदेश दिया कि कठिन मेहनत और आत्मविश्वास से बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं।

रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

मीराबाई का यह प्रदर्शन कॉमनवेल्थ स्तर पर अब तक का सर्वश्रेष्ठ माना जा रहा है। उन्होंने तीन रिकॉर्ड अपने नाम किए स्नैच, क्लीन एंड जर्क और टोटल। यह उपलब्धि उन्हें एक बार फिर वेटलिफ्टिंग की दुनिया में शीर्ष खिलाड़ियों की कतार में खड़ा करती है। यह जीत आने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक के लिए भी एक मजबूत संकेत है कि भारत की यह बेटी हर मंच पर खुद को साबित करने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष

कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2025 में मीराबाई चानू की जीत इतिहास में दर्ज हो गई है। उनका यह प्रदर्शन न सिर्फ भारतीय वेटलिफ्टिंग के लिए सुनहरा अध्याय है, बल्कि लाखों युवाओं को प्रेरणा देने वाला भी है। मीराबाई चानू ने एक बार फिर साबित किया है कि भारतीय महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और अगर जुनून व मेहनत हो तो हर सपना सच हो सकता है।

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