जापान के साथ रिश्तों में नई मजबूती लाएगी पीएम मोदी की टोक्यो यात्रा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा टोक्यो न सिर्फ भारत और जापान के द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम है बल्कि पूरे एशिया की कूटनीति पर भी इसका गहरा असर पड़ने वाला है। 29 से 30 अगस्त 2025 तक आयोजित इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य 15वां भारत–जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन था, जिसमें दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने कई राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री शिन्गेरू इशिबा से मुलाकात की और इस दौरान व्यापार, तकनीक, रक्षा सहयोग और एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर बातचीत हुई। भारत और जापान लंबे समय से एक-दूसरे के भरोसेमंद साझेदार रहे हैं और यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और गहराई को बेहतर बनाने के लिए है।
यात्रा से फायदे:
इस यात्रा की खासियत यह है कि जापान ने भारत के लिए करीब 68 अरब डॉलर का निवेश पैकेज तैयार करने की घोषणा की। यह निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर, हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट, ग्रीन एनर्जी, डिजिटल टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर केंद्रित होगा। इससे भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और साथ ही जापान की कंपनियों को भी भारतीय बाजार में बड़ा विस्तार मिलेगा।
सुरक्षा और रक्षा सहयोग भी इस दौरे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा। भारत और जापान दोनों ही ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र’ में स्वतंत्रता और स्थिरता बनाए रखने पर ज़ोर देते हैं। इस वजह से नौसेना अभ्यास, तकनीकी साझेदारी और रक्षा उपकरण निर्माण में सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर गहन चर्चा हुई। मना जाता है कि भारत-जापान की नजदीकियां चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच एशिया में शक्ति संतुलन कायम करने में मददगार होंगी।
यात्रा का महत्व:
कूटनीति के लिहाज से इस यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच टकराव तेज़ है और वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के युग से गुजर रही है। भारत और जापान जैसे लोकतांत्रिक देश मिलकर क्षेत्र में आर्थिक स्थिरता और तकनीकी प्रगति को दिशा दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की टोक्यो यात्रा के दौरान सांस्कृतिक सहयोग पर भी विशेष ध्यान दिया गया। जापान और भारत के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते सदियों पुराने हैं। इस यात्रा में शिक्षा, छात्र विनिमय कार्यक्रम और बौद्ध धरोहर संरक्षण जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
प्रधानमंत्री मोदी का टोक्यो दौरा भारत-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित हुआ है। आर्थिक सहयोग, निवेश समझौते, रक्षा साझेदारी और सांस्कृतिक नज़दीकियों के ज़रिए दोनों देश आने वाले वर्षों में एशिया के विकास और स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टोक्यो यात्रा ने यह साबित कर दिया कि भारत और जापान का रिश्ता सिर्फ दो देशों का सहयोग नहीं है, बल्कि यह पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए शांति, स्थिरता और प्रगति का प्रतीक है। आने वाले समय में यह साझेदारी और मजबूत होगी और इस चीज से दोनों देशों को फायदा होगा।
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