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भारत अमेरिका व्यापार तनाव 2025: क्या होगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर?

2025 में भारत अमेरिका व्यापार तनाव पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते में हमेशा से कुछ ना कुछ मनभेद चलते रहा है। हाल ही में अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है। वही भारत की ओर से यहां के केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट रूप से यह बयान दिया है कि भारत इस विवाद को बहुत खुले मन से देख रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि इस विवाद का समाधान बातचीत के माध्यम से खोजने की कोशिश की जाएगी।

यह समय ऐसा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था तरह-तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है और विश्व पटेल पर सभी विकासशील देशों के लिए निर्यात बहुत बड़ा राजस्व स्रोत है। इस बात से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत किसी बड़े योजना को अंजाम देने वाला है।

भारत अमेरिका व्यापार तनाव

अमेरिका का टैरिफ बढ़ाने का फैसला

अमेरिका द्वारा लिया गया टैरिफ बढ़ाने के फैसले में अमेरिका ने भारतीय स्टील एल्युमिनियम और कुछ कृषि उत्पादकों पर टैरिफ लगाने का बात किया है। अमेरिकी सरकार यह दवा कर रही है कि वह इस टैरिफ को अपने घरेलू उद्योगों को सुरक्षित करने के लिए लगा रही है।

विशेषज्ञों द्वारा ऐसा बताया जा रहा है कि अमेरिका के टैरिफ लगाने के फैसले से भारत के टेक्सटाइल आईटी इंजीनियरिंग तथा एग्रीकल्चर सेक्टर पर बड़ा असर पड़ सकता है इसका मूल वजह अमेरिका का भारत के साथ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारी बताई जा रही है।

भारत से अमेरिका को प्रतिवर्ष निर्यात के रूप में आईटी सेवाएं, कृषि उत्पादन, फार्मास्युटिकल्स और इंजीनियरिंग समान जिसकी वैश्विक कीमत अर्बन डॉलर बताई जा रही है ऐसे समय पर टैरिफ लगाने से भारतीय उत्पादक को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि अमेरिकी बाजार में यह सारे सामग्री महंगे हो जाएंगे।

भारत का रुख: “खुला मन” से बातचीत

भारत के वाणिज्य तथा उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने इस मुद्दे पर यह बयान दिया है कि भारत इसे खुले मन से देख रहा है जो भारत के लिए एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा सकता है। उनका मानना है कि भारत अमेरिका सिर्फ व्यापार के रिश्ते तक सीमित नहीं है बल्कि इन दोनों देशों के बीच टेक्नोलॉजी शिक्षा तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में गहरे रिश्ते हैं। भारत इस रणनीति पर काम कर रहा है जिससे किसी भी देश के उद्योग को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे। यहां के सरकार का ऐसा मानना है कि विवाद को संवाद और राजनयिक बातों से सुलझाया जा सकता है।

भारतीय किसानों और उद्योगों पर प्रभाव

• अमेरिका द्वारा भारत से निर्यात होने वाले कृषि उत्पादों पर टैरिफ लगाने से भारतीय किसान को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इस टैरिफ की वजह से चावल, मसाले और समुद्री उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ने की संभावना हो सकती है।
• भारत के द्वारा कपड़ा उत्पादन के उद्योग पर इस टैरिफ का ज्यादा असर पड़ सकता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि अमेरिकी बाजार द्वारा ही भारत के टेक्सटाइल इंडस्ट्री के प्रोडक्ट का सबसे ज्यादा निर्यात किया जाता है।
• व्यापारिक रिश्ते खराब होने की वजह से भारत के द्वारा दिए जाने वाले इट सेवाओं पर अप्रत्यक्ष रूप से असर होने की संभावना हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय

अलग-अलग अर्थशास्त्रियों की मान्यता है कि यह विवाद लंबे समय के लिए कारगर साबित नहीं होगा। जिस तरह भारत अमेरिका पर निर्भर है उससे कहीं ज्यादा अमेरिका को भारत की टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच आपसी निर्भरता इतनी अधिक है कि आपस के व्यापारिक रिश्तों को खराब करने से न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका को भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत इस विवाद से बहुत हद तक अपना फायदा देख सकता है। इस विवाद की वजह से मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं को नया बल मिलेगा। इस टैरिफ की वजह से घरेलू उत्पादन में वृद्धि आएगी और भारत को निर्यात के लिए नए बाजार मिलने की संभावना होगी।

भारत की रणनीति: नए बाजार और आत्मनिर्भरता

भारत सरकार स्टडी का फायदा उठाते हुए अन्य देशों से अपनी व्यापारिक रिश्ते में मजबूती ला सकते हैं हो सकता है। भारत यूरोपीय संघ जापान ऑस्ट्रेलिया तथा अफ्रीका के बाजारों में अपने उत्पादन का निर्यात कर उन देशों से अपनी व्यापारिक रिश्ते को मजबूत बनाएं। फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत यह संभावना बढ़ सकती है कि भारत को विश्व पटल पर जल्दी नई बाजार मिल सकते हैं।

भारत में उपभोक्ताओं की जागरूकता भारतीय सामान को खरीदने की ओर भी बढ़ सकती है। जिससे भारतीय कंपनियों को अत्यधिक लाभ हो सकता है। और नए-नए स्टार्टअप्स खुलने की संभावना बढ़ सकती है।

आगे का रास्ता

विशेषज्ञों की माने तो यह विवाद ज्यादा दिन तक नहीं चल सकता है। भारत और अमेरिका दोनों ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के बहुत बड़े खिलाड़ी हैं। ऐसी स्थिति में विवाद ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में राजनयिक वार्ता के अंतर्गत नए व्यापार समझौते होंगे और स्थिति वापस सामान्य हो जाएगी।

भारतीय सरकार भारत को आने वाले कुछ वर्षों में ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनने की ओर अपना लक्ष्य को निर्धारित करके रखी है। हो सकता है इस विवाद की वजह से भारत अपनी आत्मनिर्भरता पर अत्यधिक बल दे और वैश्विक सप्लाई चैन में अपनी स्थिति को और अधिक मजबूत बना ले।

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