दिल्ली सरकार और प्रदूषण नियंत्रण समिति ने इस बार गणेश उत्सव के दौरान बड़ा कदम उठाया है। यमुना नदी में मूर्ति विसर्जन पूरी तरह प्रतिबंधित लगा दिया गया है और यदि कोई नियम तोड़ेगा तो उसे 50 हजार रुपये तक का भारी जुर्माना देना होगा। यह फैसला पर्यावरण और नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए लिया गया है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
हर साल गणेश चतुर्थी और अन्य धार्मिक अवसरों पर हजारों मूर्तियां यमुना नदी में विसर्जित की जाती हैं। इनमें से ज्यादातर मूर्तियां प्लास्टर ऑफ पेरिस, सिंथेटिक रंग और केमिकल से बनी होती हैं। यह सीधे पानी को जहरीला बना देती हैं। यमुना पहले से ही प्रदूषण की मार झेल रही है, और इस वजह से उसका जल जीवन और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक होता जा रहा है।
DPCC का मानना है कि , मूर्तियों के कारण नदी में घुलने वाले केमिकल से मछलियां और जलीय जीव मर जाते हैं। साथ ही पानी की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है। इसी खतरे को देखते हुए प्रशासन ने इस बार सख्त कदम उठाया है।
नियम तोड़ने पर सख्त कार्रवाई
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) ने साफ कर दिया है कि जो भी व्यक्ति या संगठन यमुना में मूर्ति विसर्जन करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा जरूरत पड़ने पर पुलिस केस भी दर्ज हो सकता है।सार्वजनिक स्थल पर नियम तोड़ने वालों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।इससे पहले भी प्रशासन ने कई बार लोगों को जागरूक करने की कोशिश की थी, लेकिन अबकी बार नियम तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
विसर्जन की व्यवस्था:
लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए दिल्ली सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की है।अलग-अलग इलाकों में कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं जहां मूर्तियों का विसर्जन किया जा सकता है।लोगों को सलाह दी गई है कि वे घर पर ही बकेट या टब में पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मूर्ति का विसर्जन करें।POP मूर्तियों के बजाय मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनी मूर्तियों का उपयोग करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।धार्मिक आस्था गणपति विसर्जन हिंदू धर्म की गहरी आस्था और परंपरा से जुड़ा हुआ है। लेकिन आज के समय में पर्यावरण की रक्षा भी उतनी ही जरूरी हो गई है। आस्था और परंपरा निभाते हुए भी लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें।
आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण की सोच अगर लोगों में आए तो न केवल यमुना बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह बड़ा उदाहरण बन सकता है।
निष्कर्ष
दिल्ली में इस बार गणेश उत्सव का जश्न पहले की तरह धूमधाम से जरूर होगा, लेकिन विसर्जन को लेकर नियम सख्त हैं। यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए यह जरूरी कदम है। अब यह जनता की जिम्मेदारी है कि वह नियमों का पालन करे और पर्यावरण संरक्षण में सहयोग दे।
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