आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आज दो दिवसीय राष्ट्रीय Watershed Conference का शुभारंभ किया जा रहा है। यह आयोजन Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana की Watershed Development Component (WDC-PMKSY 3.0) के अंतर्गत किया जा रहा है। इस कॉन्फ्रेंस का लक्ष्य innovation और सामाजिक भागीदारी (community participation) को जलाधार विकास के केंद्र में लाने का है।

PMKSY 3.0 की साझेदारी एवं उद्देश्य
इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन Department of Land Resources (DoLR), Ministry of Rural Development द्वारा किया गया है, जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, शोध संस्थान और विभिन्न NGOs के प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं।
सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय राज्य मंत्री Chandra Sekhar Pemmasani के द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में किया गया। उन्होंने Soil & Water Conservation कार्यक्रमों को भविष्य दृष्टि के साथ संचालित करने की आवश्यकता पर अत्यधिक बल दिया और कहा कि आधुनिक तकनीक तथा सामाजिक भागीदारी को संयोजित कर कार्य किया जाना चाहिए।
DoLR के सचिव एवं आंध्र प्रदेश के PR & RD विभाग के प्रमुख ने conventional Watershed उपायों से हटकर Integrated Holistic Approach अपनाने की आवश्यकता जताई, जिसके अंतर्गत river revival और पारंपरिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के काम को शामिल किया गया।
WDC-PMKSY 3.0 का नया दृष्टिकोण और चुनौतियाँ
WDC-PMKSY (Watershed Development Component) को 2015-16 से लागू किया गया था और अब नया चरण, 3.0,जल संकट, भू क्षय, वर्षा अनियमितता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।
इस नए चरण में विशेष दबाव है कि
- Rainwater Productivity बढ़ाना और Biological मीट्रिक्स को उतना ही महत्व देना जितना Engineering मीट्रिक्स को।
- Integrated Farming Systems जैसे हॉर्टिकल्चर, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि को वाटरशेड कॉन्टेक्स्ट में शामिल करना।
- Springshed Management, Remote Sensing और GIS-आधारित निगरानी को बढ़ावा देना ताकि काम की गुणवत्ता व प्रभाव बेहतर हो सके।
सम्मेलन में यह स्पष्ट हुआ है कि इन पहलुओं के सफल क्रियान्वयन से जल सिंचाई के क्षमता बढ़ोतरी के साथ सामाजिक आर्थिक स्तर पर किसानों व स्थानीय समुदायों को स्थायी लाभ भी मिलेगा।
Community Participation और नवाचार का स्वरूप
सम्मेलन में यह बात विशेष रूप से सामने आई कि Watershed प्रोजेक्ट्स सामाजिक भागीदारी (community participation) के बिना कतई सफल नहीं हो सकता है। स्थानीय जन संस्थाओं (local institutions), किसानों समूहों (farmer groups) और महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को अधिक सक्षम बनाना इस कार्यक्रम की प्राथमिकता मानी जा रही है।
वहीं innovation की दिशा में शोध संस्थान, टेक्नोलॉजी प्लैटफॉर्म और डेटा ड्रिवन मॉडल पर जोर दिया गया है। इनमें ड्रोन मानिटरिंग, plot wise baseline survey, स्मार्ट वाटर हैवेस्टिंग स्ट्रक्चर आदि शामिल हैं। गुंटूर में यह सम्मेलन इस बात की दिशा सूचक है कि WDC-PMKSY 3.0 योजना लेख तक सीमित न होकर इसे स्थानीय स्तर पर प्रयोगात्मक मॉडल और डेटा सक्रिय उपयोगिता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।

आगामी रास्ते और कार्यान्वयन की रूपरेखा
कॉन्फ्रेंस में चर्चा यह भी हुई कि अगले चरण के framework तैयार करने में गुंटूर के अनुभव, क्षेत्र विशिष्ट सुझाव और सहभागी संस्थाओं की फीडबैक अहम भूमिका निभाएगी। इसके तहत राज्यों को यह निर्देश दिया गया है कि वे अन्य केन्द्रीय एवं राज्य योजनाओं के साथ समवर्ती (convergence) सुनिश्चित करें, ताकि Watershed ट्रीटमेंट सैचुरेशन मोड में हो सके।
साथ ही, कार्यकाल को 4-7 वर्ष से घटाकर 3-5 वर्ष किया गया है, ताकि periodicity बेहतर हो सके और outcome achievement में भी शीघ्रता हो।
निष्कर्ष
गुंटूर में शुरू की गई इस राष्ट्रीय वाटरशेड कॉन्फ्रेंस ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत में स्थायी और लचीले वाटरशेड विकास (sustainable and resilient watershed development) की दिशा में नव प्रतिभा, सामाजिक भागीदारी और आधुनिक तकनीक मिलकर काम करने को तैयार हैं। जब योजना मंच और स्थानीय समुदाय एक साथ हों, तभी प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (natural resource management) भी वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।
WDC-PMKSY 3.0-के इस नए चरण में, यह स्पष्ट है कि जल ही जीवन सिर्फ नारा नहीं बल्कि क्रियात्मक अवसर बनेगा। इस तरह का समन्वित मंच आज के लिए ही नहीं बल्कि आने वाले वर्षों में भी जल संसाधन, किसान जीवन व ग्रामीण विकास की दिशा में भारत को आगे ले जाने में निर्णायक साबित होगा।
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1 thought on “गुंटूर में राष्ट्रीय Watershed कॉन्फ्रेंस शुरू: PMKSY 3.0 के तहत Innovation और Community Participation पर केंद्र”