Bihar Closing 2025: NDA का कदम, मातृशक्ति के सम्मान में होगा विरोध।

4 सितंबर 2025 को बुलाए गए Bihar Closing का असर पूरे राज्य में दिखाई देने वाला है। यह बंद एनडीए द्वारा बुलाया गया है और इसकी अगुवाई भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा कर रही है। इस बंद का ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माता जी को लेकर की गई अभद्र टिप्पणी के विरोध में किया गया है। एनडीए नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ मोदी जी की माता का अपमान नहीं, बल्कि मातृ शक्ति का अपमान है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

Bihar Closing
Bihar Closing 2025

NDA की प्रतिक्रिया:

एनडीए ने साफ कर दिया है कि बंद का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा। इस दौरान स्कूल, कॉलेज, बाज़ार और सड़कों पर असर पड़ने की संभावना है। प्रशासन ने ज़रूरी सेवाओं जैसे अस्पताल, दूध और दवा की आपूर्ति को इस बंद से बाहर रखा है। रेल सेवाओं को भी आधिकारिक तौर पर बंद से छूट दी गई है, लेकिन फिर भी आंदोलन के चलते छोटे स्तर पर असुविधा हो सकती है।

इस बंद को लेकर एनडीए के बड़े नेताओं ने जनता से समर्थन की माँग की है। महिला मोर्चा की पदाधिकारियों ने कहा है कि वे राज्य के अलग-अलग ज़िलों में धरना-प्रदर्शन करेंगी ताकि इस तरह की अभद्र राजनीति दोबारा न हो।

प्रशासन का कार्य:

प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर है। पटना, गया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और दरभंगा जैसे बड़े शहरों में पुलिस बल की तैनाती की गई है। रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर भी सुरक्षा बढ़ाई गई है। सरकार ने चेतावनी दी है कि कानून व्यवस्था को भंग करने वालों पर सख़्त कार्रवाई होगी।

राजनीतिक रूप से देखा जाए तो यह बंद आने वाले चुनावों से पहले एक बड़ा संदेश माना जा रहा है। एनडीए इस मुद्दे को महिलाओं के सम्मान से जोड़ते हुए जनता के बीच सहानुभूति लेने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर, विपक्षी दल इस बंद को पूरी तरह राजनीतिक बता रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि एनडीए इस मुद्दे को चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

निष्कर्ष:

4 सितंबर को बिहार बंद केवल एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी है। यह बंद सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए चुनौती बन गया है। जहाँ एनडीए इसे महिलाओं के सम्मान से जोड़कर पेश कर रहा है, वहीं प्रशासन की नज़र इस पर रहेगी कि बिहार बंद शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से हो ताकि आम लोगों की दिक़्क़तें न बढ़े।

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