Heritage Languages & Cultural Studies का Centre of Excellence मुंबई विश्वविद्यालय में बनेगा

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू (Kiren Rijiju) ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। केन्द्रीय मंत्री द्वारा मुंबई विश्वविद्यालय में Centre of Excellence in Heritage Languages & Cultural Studies के निर्माण कार्य का शिलान्यास (Bhoomi Poojan & Foundation Stone Laying) किया गया। इस संस्थान में प्राचीन भाषाओं, परंपराओं और सांस्कृतिक अध्ययन को आधुनिक शोध और तकनीक के साथ जोड़कर नए आयाम देने का प्रयास किया जाएगा।

Heritage Languages & Cultural Studies का Centre of Excellence
Heritage Languages & Cultural Studies का Centre of Excellence

पाली और अवेस्ता-पहलवी पर विशेष शोध

इस Centre of Excellence का प्रमुख उद्देश्य प्राचीन भाषाओं पाली (Pali) और अवेस्ता-पहलवी (Avesta-Pahlavi) को अकादमिक और सांस्कृतिक दृष्टि से सुदृढ़ करने का है। ये दोनों भाषाएँ भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं से जुड़ी हुई हैं तथा ये भाषाएं एशिया की प्राचीन सभ्यताओं और वैश्विक दार्शनिक विमर्श में भी अहम स्थान रखती हैं।

इस केंद्र द्वारा इन भाषाओं पर interdisciplinary research किया जाएगा, जिसमें environmental ethics, comparative global philosophy और digitization of rare manuscripts जैसे विषय शामिल किए जाएंगे। इससे प्राचीन ग्रंथों, अनुष्ठानिक पांडुलिपियों और मौखिक परंपराओं को संरक्षित कर नई पीढ़ियों तक इसका संचार किया जाएगा।

डिजिटल संरक्षण और वैश्विक सहयोग

केंद्र सरकार का लक्ष्य प्राचीन ग्रंथों और दुर्लभ पांडुलिपियों का digitization करना है। इस प्रक्रिया से इन धरोहरों को संरक्षित करने के साथ शोधकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों के लिए इन तक पहुँच को आसान बनाया जाएगा।

इसके साथ केंद्र में grammar guides, dictionaries और theological literature को व्यवस्थित करने का कार्य भी किया जाएगा। इस कदम से शोध और अध्ययन की प्रक्रिया को अधिक वैज्ञानिक और व्यवस्थित बना दिया जाएगा।

यह केंद्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विद्वानों और संस्थानों के साथ सहयोग को अधिक सुदृढ़ करेगा। इस तरह भारत global hub of cultural research and language preservation बनने की दिशा में और अग्रसर होगा।

सांस्कृतिक अध्ययन और शिक्षा में नया अध्याय

Heritage Languages & Cultural Studies का यह केंद्र भाषाओं तक सीमित न होकर यह विभिन्न सांस्कृतिक, दार्शनिक और सामाजिक पहलुओं पर भी गहन शोध करने में प्रयासरत होगा। बौद्ध धर्म के मूल साहित्य और Tripitaka से जुड़ी पाली भाषा की समझ और अध्ययन से वैश्विक स्तर पर बौद्ध दर्शन को नई दृष्टि मिलेगी।

प्राचीन ईरानी सभ्यता और Zoroastrianism से जुड़ी अवेस्ता-पहलवी के संरक्षण और अध्ययन से भारत की पारसी समुदाय और उनकी परंपराओं की गहरी समझ अधिक विकसित होगी। इस तरह यह केंद्र भारत की pluralistic identity और civilizational dialogue को और अत्यधिक मजबूत करने का काम करेगा।

सोशल मीडिया और अकादमिक जगत की प्रतिक्रिया

इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से चर्चा का विषय बन चुकी है। Twitter और अन्य प्लेटफॉर्म पर लोग इसे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में historic initiative के रूप में देख रहे हैं। कई शिक्षाविद और शोधकर्ताओं का ऐसा मानना है कि यह पहल आने वाले समय में भारत को global leader in cultural studies की ओर लेकर जाएगा।

निष्कर्ष

मुंबई विश्वविद्यालय में Centre of Excellence in Heritage Languages & Cultural Studies का निर्माण भारत के लिए एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है। यह प्राचीन भाषाओं और परंपराओं को संरक्षित करने के अलावा उन्हें आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए शिक्षा और शोध को भी नई दिशा देगा।

किरण रिजिजू का यह प्रयास भारत को वैश्विक स्तर पर cultural diplomacy और knowledge sharing का मजबूत केंद्र बनाने वाला है। हमारी धरोहर सिर्फ अतीत का गौरव नहीं है, बल्कि यह हमारे उज्जवल भविष्य के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है।

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