भारत की ग्रामीण महिलाओं की उद्यमिता क्षमता और Atmanirbhar Bharat को सशक्त करने के उद्देश्य से आज 27वां सरस आजीविका मेला (Saras Aajeevika Mela 2025) नई दिल्ली में किया गया है। इस बार के मेले की थीम है – “Making of Lakhpati Didis – Empowering Rural Women to become Successful Entrepreneurs and Champions of Vocal for Local.”
यह पहला अवसर है जब पूरा मेला लखपति दीदी (Lakhpati Didis) की अगुवाई में आयोजित किया जा रहा है और देशभर से आई दीदी अपने handicrafts, handloom और food products प्रदर्शित कर रही हैं। इससे उन्हें अपने हुनर के लिए मंच मिल रहा है साथ ही साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था और ‘Vocal for Local’ अभियान को भी नई मजबूती मिल रही है।
लखपति दीदी: आत्मनिर्भरता की नई पहचान
‘लखपति दीदी’ सरकार की उस पहल का हिस्सा है, जिसमें Self Help Groups (SHGs) से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण और सहयोग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ सालाना एक लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित करने में सक्षम बनाया जा रहा है।
इस मेले में भाग ले रहीं दीदियां केवल उत्पाद बेचने नहीं, बल्कि अपने उद्यमिता (Entrepreneurship) कौशल, नए बिजनेस मॉडल और नवाचार (Innovation) को भी प्रदर्शित कर रहीं हैं।
इससे यह संदेश स्पष्ट है कि अब ग्रामीण महिलाएं केवल गृहस्थी तक सीमित नहीं, बल्कि Startup Culture और Women-led Enterprises में भी अपनी भूमिका को मजबूत कर रही हैं।
सरस आजीविका मेला 2025 की खासियतें
इस वर्ष का सरस मेला कई मायनों में दीदियों के लिए ऐतिहासिक अवसर है। लगभग सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 400 से अधिक ग्रामीण महिलाएं इस मेले की हिस्सा बनने वाली हैं।
उनके द्वारा किए गए उत्पादों में हस्तशिल्प (Handicrafts), हथकरघा (Handloom), पारंपरिक परिधान, ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट्स, घरेलू मसाले, अचार और स्थानीय स्नैक्स जैसे सामग्री शामिल हैं।
मेला ग्रामीण महिलाओं को national exposure देने के साथ ही उन्हें international buyers और e-commerce platforms से भी जोड़ने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।
सरकार की ‘Vocal for Local’ को बढ़ावा देने की पहल
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने ‘Vocal for Local’ और ‘Atmanirbhar Bharat’ जैसे अभियानों के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बहुतेरे कदम उठाए हैं।
सरस आजीविका मेला भी इसी कड़ी का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ग्रामीण उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग को प्रोत्साहित करता है। इससे महिलाओं को financial independence के साथ साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित करता है।
मेले में भाग ले रहीं दीदियां सीधे urban consumers से जुड़ रही हैं और उन्हें यह अवसर मिल रहा है कि वे अपने उत्पादों को fair trade prices पर बेच कर मुनाफा हासिल कर सकें।
निष्कर्ष: ग्रामीण महिला उद्यमिता का राष्ट्रीय मंच
सरस आजीविका मेला तो एक exhibition या trade fair तो है ही, इस मंच के साथ ग्रामीण दीदियों द्वारा उद्यमिता को एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी है।
आज जिन ‘लखपति दीदी’ ने कभी छोटे स्तर से काम को शुरू किया था, वे अब अपने Self Help Groups के जरिए दर्जनों महिलाओं को रोजगार दे कर प्रोत्साहित रही हैं। यह मेला उनके लिए networking, capacity building और technology adoption के लिए भी बहुत बड़ा मंच है।
ऐसे ही और खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद।
