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BioE3 नीति का पहला वार्षिक उत्सव: जैवप्रौद्योगिकी से आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार सृजन का एकीकरण

भारत सरकार की प्रमुख योजना BioE3 नीति के पहले साल पूरे होने पर International Centre for Genetic Engineering and Biotechnology (ICGEB), नई दिल्ली में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस नीति का मुख्य उद्देश्य जैवप्रौद्योगिकी को आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण और रोजगार से जोड़ना है। BioE3 कार्यक्रम ने देश के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाकर वैज्ञानिक नवाचारों को प्रयोगशाला से बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया पर चर्चा की।

BioE3 नीति का पहला वार्षिक उत्सव

ICGEB का तथ्य

भारत में कृषि और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे गहन कार्यों को व्यावसायिक उपयोग में बदलने के लिए BioE3 नीति एक महत्वपूर्ण कदम है। ICGEB के अधिकारियों ने बताया कि इस पहल के तहत वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और उद्योग विशेषज्ञों का संयुक्त प्रयास चल रहा है ताकि व्यावसायिक उत्पाद में परिवर्तित किया जा सके। इससे न केवल देश की आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।

क्या क्या चुनौतियां रही?

कार्यक्रम में यह स्पष्ट किया गया कि भारत में जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों को बाज़ार तक ले जाने में कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं। Intellectual Property Rights (IPR) की सुरक्षा, नवाचारों के व्यवसायीकरण में प्रक्रियागत बाधाएँ, और start-up incubators का अभाव प्रमुख चुनौती मानी गईं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि Public-Private Partnership (PPP) मॉडल के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान संभव है।

 

BioE3 का कार्यक्रम उद्देश्य

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से कृषि क्षेत्र में Genetic Engineering आधारित समाधान पर चर्चा हुई। यह बताया गया कि कैसे नई तकनीकों से फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, pest resistance को बेहतर बनाया जा सकता है और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ तरीकों को अपनाया जा सकता है।स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में जैवप्रौद्योगिकी का उपयोग कर biofuels, biogas और waste-to-energy जैसी टिकाऊ ऊर्जा विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

ICGEB की टीम ने यह भी साझा किया कि राज्य सरकारों और उद्योग जगत के साथ मिलकर नवाचारों को व्यवहार में लाने के लिए योजना बनाई जा रही है। इससे अनुसन्धान संस्थान में विकसित तकनीकों को बाजार के लिए तैयार उत्पाद में बदलने की प्रक्रिया तेज होगी। साथ ही इससे छोटे और मध्यम उद्यम (SMEs) को भी लाभ मिलेगा।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने BioE3 नीति को और प्रभावी बनाने के संकल्प की पुष्टि की। यह पहल न केवल देश में गहन के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देगी, बल्कि नए रोजगार सृजन के अवसर भी प्रदान करेगी।

निष्कर्ष:

BioE3 कार्यक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत सरकार की नीति वैज्ञानिक खोजों को देश के विकास से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास है। ICGEB के नेतृत्व में यह योजना देश को विज्ञान, पर्यावरण और रोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रदान करेगी। आने वाले वर्षों में इसके और भी प्रभावशाली परिणाम सामने आने की उम्मीद है, जिससे भारत वैश्विक जैवप्रौद्योगिकी केंद्र बन सकेगा।

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