जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तब अक्सर हम जवानों, हथियारों और रणनीतियों को ही देखते हैं। लेकिन इस बार एक बहादुर चार पंजा प्रहरी ने अपनी गूँज छोड़ी है। Border Security Force (BSF) की 181 बटालियन के देसी नस्ल के K9 Rampur Hound बबीता ने Sardar Vallabhbhai Patel National K9 Bravery Award 2025 से सम्मानित होकर देशभक्ति, वफादारी और आत्मनिर्भरता का संदेश बखूबी पेश किया है।
देसी नस्ल की पहचान और रणनीतिक महत्व
BSF ने हाल फिलहाल Rampur Hound जैसी देसी नस्लों को अपनी K9 यूनिट में शामिल करना शुरू किया है। यह नस्ल उत्तर प्रदेश के रामपुर क्षेत्र के मूल की है, जिसे युद्ध पूर्व और शिकार परिस्थितियों के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। इसकी तेज गति, लंबी दौड़ने की क्षमता और भारत के केंद्रित वातावरण में अनुकूलता इसे सीमाओं पर काम करने के लिए उपयुक्त बनाती है।
बबीता ने 181 बटालियन के ऑपरेशन्स में हिस्सा लेते हुए हथियारों और गोला बारूद की ट्रैकिंग में सक्रिय रूप से योगदान दिया, जो यह स्पष्ट संकेत है कि सिर्फ मानवबल ही नहीं बल्कि दक्ष K9 तंत्र भी भारत की सीमा सुरक्षा का अहम हिस्सा बन चुका है।
BSF K9 की साहस, समर्पण और सफलता की कहानी
इस पुरस्कार से सम्मानित होने से यह स्पष्ट पता चलता है कि बबीता ने सिर्फ कुछ मिशन पूरा नहीं किए बल्कि उसने अवश्य ही ऐसे अभियानों में भागीदारी दी है जहाँ जोखिम, ट्रैकिंग कौशल और निर्णायक भूमिका सामने आयी हो। ऑपरेशन के दौरान गोला बारूद की बरामदगी और ट्रैप डिटेक्शन जैसी गतिविधियों में बबीता ने अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता और अटूट समर्पण का परिचय दिया है।
बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार यह कार्य सीमावर्ती इलाकों समेत नक्सलप्रवण व संवेदनशील अभियानों में भी ऐसी K9 यूनिट्स की भूमिका बढ़ती जा रही है। उदाहरणस्वरूप, इसी दिन 40 बटालियन के K9 “बाबू” को भी नक्सल क्षेत्र में विस्फोटक पहचान में उत्कृष्ट सेवा के लिए सम्मानित किया गया।
देश-निर्मित शक्ति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक
इस घटना का एक और महत्वपूर्ण पहलू Made in India अवधारणा का प्रवर्धन है। BSF द्वारा Rampur Hound और Mudhol Hound जैसी देसी नस्लों को अपनाना, प्रशिक्षित करना और फिर उन्हें सीमा सुरक्षा अभियानों में तैनात करना देश की self-reliant defence ecosystem को अत्यधिक मजबूत करता है।
जब K9 Units में विदेशी नस्लों के बजाय भारतीय नस्लों को स्थान दिया जाता है, तो लागत निर्देशन, स्थानीय परिस्थिति के अनुकूलन और परिचालन क्षमता दोनों ही बेहतर होती हैं। यही कारण है कि बबीता के द्वारा अर्जित किया गया यह पुरस्कार भारत की K9 शक्ति की प्रगति का स्पष्ट संकेत है।
सीमा सुरक्षा के नए आयाम
आज भारतीय सीमाएं एक भौगोलिक रेखा मात्र नहीं है बल्कि यह आधुनिक समय में यह बहु स्तरीय प्रतिरक्षा रूप बन चुकी हैं। आतंकवाद, नक्सलवाद, शस्त्र तस्करी और ड्रग्स संचार जैसे खतरों के परिदृश्यों में K9 यूनिट्स ट्रैकिंग, सर्च, विस्फोटक-डिटेक्शन और पूर्व चेतावनी में अहम भूमिका निभाती रही है।
बबीता और बाबू जैसे वीर श्वान प्रहरी इस बात का सबूत हैं कि BSF सिर्फ इंसानों और इंटीग्रेटेड केनीन ऑपरेशन मॉडल को अपनाकर आगे बढ़ रहा है। यह मॉडल भविष्य में सीमा सुरक्षा, बुद्धिमत्ता सहायता (intelligence support) और अभियानों की गति (operational tempo) को अत्यधिक तीव्र और नए मुकाम तक लेकर जाएगा।
निष्कर्ष
जब बबीता जैसे एक देसी श्वान को Sardar Vallabhbhai Patel National K9 Bravery Award 2025 से सम्मानित किया जाता है, तो यह सम्पूर्ण देश के लिए मात्र एक पुरस्कार समारोह नहीं होता बल्कि देश की सुरक्षा संस्कृति, वफादारी के प्रति समर्पण की परिभाषा और स्वदेशी शक्ति की संभावना का प्रतीक बन जाता है।
BSF की यह पहल first line of defence में भारतीय नस्लों और प्रशिक्षित K9 यूनिट्स को शामिल कर यह स्पष्ट संदेश देती है कि भारत सिर्फ सीमाओं पर खड़े होकर निडरता और नवाचार के साथ आगे बढ़ रहा है। ऐसे में बबीता और बाबू जैसे नाम श्वान नहीं, बल्कि देश प्रेम, प्रतिबद्धता और सुरक्षात्मक शक्ति की जीवंत झलक माने जाते हैं।
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