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उपराष्ट्रपति C P Radhakrishnan ने पटना में Unmesha Literature Festival के समापन सत्र की शोभा बढ़ाई

साहित्य, संस्कृति और विचारों के संगम को समर्पित Unmesha – International Literature Festival का तीसरा संस्करण बिहार की राजधानी पटना में संपन्न किया गया। इस भव्य आयोजन के Valedictory Session की शोभा उपराष्ट्रपति C P Radhakrishnan ने अपनी मौजूदगी से बढ़ाई। आयोजित कार्यक्रम में देश-विदेश के नामी लेखक, कवि, साहित्यकार और विचारक शामिल हुए थे, जिन्होंने विविध भाषाओं और संस्कृतियों से जुड़े विचार को साझा किया।

Unmesha Literature Festival के समापन में C P Radhakrishnan

C P Radhakrishnan द्वारा बिहार की प्राचीन विद्या परंपरा पर जोर

समापन सत्र में उपराष्ट्रपति C P Radhakrishnan ने बिहार की प्राचीन शिक्षा परंपरा को संबोधित किया। उन्होंने Nalanda और Vikramshila Universities का उल्लेख किया और कहा कि ये संस्थान भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए ज्ञान और शिक्षा का केंद्र था।

उन्होंने कहा कि बिहार सदियों से एक “intellectual powerhouse” रहा है, जिसका वैश्विक स्तर पर शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। आज भी यह परंपरा साहित्य और संस्कृति के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ रही है।

Unmesha का महत्व और उद्देश्य

उपराष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया कि Unmesha शब्द स्वयं में “awakening of new ideas” का प्रतीक है। यह साहित्य के उत्सव के साथ diversity in thought का उत्सव भी है, जो भाषा, संस्कृति, भौगोलिक सीमाओं और विचारधाराओं के बीच माध्यम का काम करता है।

Unmesha Literature Festival के समापन में C P Radhakrishnan

उन्होंने यह भी बताया कि आज की दुनिया में संवाद और विचार-विनिमय की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो चुकी है। ऐसी परिस्थिति में Unmesha Festival एक मंच है, जहां creative expression और cultural exchange को नई दिशा दी जा सकती है।

करूर त्रासदी पीड़ितों को श्रद्धांजलि

कार्यक्रम के दौरान तमिलनाडु के करूर हादसे के पीड़ितों की याद में एक मिनट का मौन समर्पण किया गया। इस भावुक क्षण ने आयोजन को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ दिया और यह संदेश दिया कि साहित्य विचारों की दुनिया ही नहीं है, यह समाज की पीड़ा और संवेदनाओं को भी स्वर देने का काम करता है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिहार की पहचान

Unmesha Festival का तीसरा संस्करण इस मायने में भी खास है क्योंकि इसने पूरे बिहार को अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक नक्शे पर और मजबूत स्थान दिलाने का काम किया है। तीन दिनों तक चले इस आयोजन में साहित्यिक विमर्श, कविता पाठन, सांस्कृतिक प्रस्तुतिकरण और विचार गोष्ठियों को बल दिया गया।

यहां भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के साथ विदेशों से आए प्रतिभागियों ने भी अपने विचार को साझा किया। इस कार्यक्रम से यह संदेश दिया गया कि भारत की literary traditions वैश्विक संवाद का अभिन्न हिस्सा है।

निष्कर्ष

पटना में संपन्न किया गया Unmesha – International Literature Festival 2025 जो एक साहित्यिक आयोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, विचार और संवाद का अनोखा संगम था। उपराष्ट्रपति C P Radhakrishnan का यह स्पष्ट संदेश था कि भारत में प्राचीन विद्या परंपरा आज भी प्रासंगिक है और हमें इसे आगे बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होना पड़ेगा।

यह उत्सव यह साबित करता है कि साहित्य हमारी अतीत की धरोहर ही नहीं, यह वर्तमान और भविष्य के लिए भी प्रेरणा का मुख्य स्रोत है। बिहार जैसे ऐतिहासिक प्रदेश से आरंभ किया गया यह पहल भारत के साथ पूरी दुनिया को एक साझा platform of ideas and creativity प्रदान करने का कल्पना करता है।

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