शहर स्तर पर सोलर क्रांति की दिशा में एक नया कदम: PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana के तहत CAP की Capacity Building Workshop

भारत में सोलर एनर्जी को जन-जागरूकता से लेकर संस्थागत क्रियान्वयन तक व्यापक रूप से आगे ले जाने के लिए केंद्रीय मंत्रालय Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) के द्वारा अहम कार्यशाला आयोजित किया गया है। इस पहल का नाम Capacity Building Workshop under the City Accelerator Programme (CAP) है जिसका आयोजन MNRE ने किया और इसे J.V.N. Subramanyam, Mission Director, पीएम सूर्य घर की अध्यक्षता में संपन्न किया गया है।

Muft Bijli Yojana के तहत CAP की Capacity Building Workshop
Muft Bijli Yojana के तहत CAP की Capacity Building Workshop

इस कार्यक्रम में MNRE, Rural Electrification Corporation Limited (REC) के अधिकारी द्वारा RTS cells, तथा राज्य एवं शहर के ऑर्डिनेटर्स ने भाग लिया गया और विभिन्न स्कीम कंपोनेंट्स, पोर्टल यूज़, शिकायत प्रणाली, डिमांड एग्रीगेशन व रेगुलेटरी रेडीनेस पर गहन चर्चा की गई। इस लेख में हम इस कार्यशाला के प्रमुख बिंदुओं, स्कीम की पृष्ठभूमि और आगे की चुनौतियों व अवसरों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।

जब भारत लॉक इन अवस्थाओं से बाहर निकलते हुए अपनी एनर्जी सेक्टर को सब्सिडी प्लस सस्टेनेबल मॉडल की ओर मोड़ रहा है, तभी MNRE की यह पहल समय परिणाम सक्षम नज़र आ रही है। शहरी क्षेत्रों में नेट मिटर्ड या ग्रिड कनेक्टेड रूफ टॉप सोलर (RTS) इंस्टॉलेशन को बढ़ावा देने के लिए CAP स्कीम को डिजाइन किया गया है। यह इस दिशा में आयोजित कार्यशाला राजस्थान पुनरावलोकन से कहीं आगे की तैयारी का संकेत दे रही है।

CAP स्कीम की पृष्ठभूमि और उद्देश्य

CAP वास्तव में PM Surya Ghar योजनान्तर्गत लाया गया है, जिसका उद्देश्य 1 करोड़ घरेलू छतों में सोलर इंस्टॉलेशन कराना और उपभोक्ताओं को प्रति माह तक 300 यूनिट तक फ्री बिजली उपलब्ध कराना है। CAP का लक्ष्य शहरी स्थानीय निकाय (ULBs), डिस्कॉम्स और राज्य स्तरीय एजेंसियों को तकनीकी सहायता, संस्थागत तैयारियों और नीति रेगुलेशन फ्रेमवर्क तैयार करने में सक्षम बनाना है।

इस कार्यशाला में विशेष रूप से नीचे दिए गए पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है –

  • Scheme components— जैसे कि सोलर पैनल सब्सिडी, नेटवर्क कनेक्शन, ग्रिड-इंटीग्रेशन ­­
  • Portal use— साफ सुगम डिजिटल पटल किस प्रकार काम करेगा, शिकायत/ग्रिव्हन्स सिस्टम कैसे सक्रिय होगा
  • Demand aggregation— जहाँ संभावित घरों की संख्या जुटाना, सामूहिक बॉन्डिंग मॉडल बनाना शामिल है
  • Regularity Readiness— शहरों को कैसे रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना है, टैरिफ मॉडल्स कैसे होंगी

इस तरह कार्यशाला ने शहर को सोलर रेडी बनाने के विषय पर गहन दृष्टिकोण पेश किया है।

Muft Bijli Yojana के तहत CAP की Capacity Building Workshop
Muft Bijli Yojana के तहत CAP की Capacity Building Workshop

पोर्टल और डिजिटल शिकायत प्रणाली

भविष्य में RTS इंस्टॉलेशन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए MNRE ने National Portal for Rooftop Solar तैयार किया है। कार्यशाला में यह स्पष्ट हुआ कि शहर को ऑर्डिनेटर्स और DISCOMs को उक्त पोर्टल का स्कोप, उपयोग और मॉनीटरिंग मैकेनिज्म समझाया गया है। इसके इंस्टॉलेशन से पहले बाद में ट्रैकर रखने, शिकायत दर्ज करने व समाधान प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी।

डिमांड एग्रीगेशन मॉडल और आर्थिक दिशा निर्देश

यह देखा गया कि जब शहरी घरों में RTS लगने लगेगा, तो एक-एक यूनिट से मिलकर बड़े स्तर पर क्षमता तैयार होगी। कार्यशाला में इसे डिमांड एग्रीगेशन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। CAP के तहत शहरों को उन ढांचों को विकसित करने का निर्देश मिला है जहाँ घर के मालिक, मालिक समूह, डिस्कॉम एवं राज्य एजेंसियाँ मिलकर सॉलर इंस्टॉलेशन का मॉडल बना सकते हैं। यह मॉडल लागत कम करेगा और प्रक्रिया को भी तेज करेगा।

रेगुलेटरी एवं संस्थागत तैयारियाँ

शहरी क्षेत्रों में सोलर के प्रसार में एक बड़ी बाधा संस्थागत एवं रेगुलेटरी तैयारियों की कमी हो रही है। CAP इस कमी को पूरा करने के लिए है। कार्यशाला में बताया गया कि ULBs, SNAs (State Nodal Agencies), डिस्कॉम को मिलकर सिटी पद्धति तैयार करनी होगी। जैसे नेट मापिंग, शहर स्तर पर roof survey, Zoning, और स्थानीय गाइडलाइंस।

CAP स्कीम कॉम्पोनेन्ट्स का समावेश और आगे की चुनौतियाँ

स्कीम में रुफ टॉप सोलर (RTS) को सब्सिडी मॉडल, ग्रिड कनेक्शन और मुफ्त बिजली मॉडल से जोड़ा गया है। लेकिन इस मॉडल को सफल बनाने के लिए यह देखना होगा कि इंस्टॉलेशन प्रक्रिया, मेंटेनेंस सर्विस, मॉनिटरिंग सिस्टम और रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट मॉडल कैसे काम करेंगे। कार्यशाला में यह स्पष्ट हुआ कि MNRE ने इन तमाम एलीमेंट्स को शहर दृष्टिकोण से संबोधित करने का काम किया है।

निष्कर्ष

इस तरह, MNRE की यह Capacity Building Workshop सिर्फ एक चर्चा मंच न होकर, शहरी ऊर्जा संक्रमण (urban energy transition) का एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है। जब शहर स्तर पर स्थानीय निकाय, डिस्कॉम, राज्य एजेंसियाँ और उपभोक्ता एक साथ आकर चाहें, तभी 1 करोड़ घरेलू घरों में सोलर क्रांति का लक्ष्य साकार हो सकेगा। CAP के जरिये जो प्लेटफॉर्म तैयार हो रहा है, वह भविष्य के लिए एक मॉडल बन सकता है, जहां सोलर रेडी सिटी केवल एक विचार ही नहीं बल्कि हकीकत बन जाएगा।

उद्योग, सरकार और नागरिक तीनों ही इस दिशा में मिलकर काम करें तो भारत की सोलर गाथा एक नए अध्याय में प्रवेश करेगी।

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