महाराष्ट्र के Kopargaon, Ahilyanagar में Union Home and Cooperation Minister Amit Shah ने देश का पहला cooperative-based Compressed Biogas (CBG) और Spray Dryer Potash Granule के Project को लॉन्च किया। इस परियोजना की शुरुआत एक औद्योगिक पहल और भारत की circular economy, “Atmanirbhar Bharat” की सोच और cooperative movement को नई दिशा देने के लिए किया जा रहा है। Social media पर इस घोषणा से त्वरित प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न हो चुकी है, और Google पर भी इस समाचार की खोज तेजी से बढ़ रही है।
Compressed Biogas model से ऊर्जा एवं खाद निर्माण
इस परियोजना का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि इसे किसानों की सहकारी संस्था द्वारा इसे संचालित किया जाएगा, इसके लिए यह cooperative sugar factory आधारित मॉडल पर स्थापित किया गया है। यह उद्योग-सेंट्रिक, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने वाला मॉडल माना जा रहा है।
इस संयंत्र के से प्रतिदिन लगभग 12 tonnes CBG (Compressed Biogas) और 75 tonnes potash granule उत्पादन की योजना बनाई गई है। जिससे fossil fuel पर निर्भरता कम होगी, और import पर आश्रित potash (खाद) की मांग को देश में अंदरूनी उत्पादन से पूरा करने में मदद मिलेगी।
Circular Economy को आगे बढ़ाने की दिशा
Amit Shah ने उद्घाटन के दौरान विशेष रूप से इस बात पर ज़ोर दिया है कि Shankarrao Kolhe Cooperative Sugar Factory ने #CircularEconomy का उदाहरण स्थापित करके उग्र मेहनत से निकली ज्वालायों (byproducts) को ऊर्जा और खाद में रूपांतरित कर दिया है।
इस तरह के मॉडल प्रयोग होने से resource efficiency में बढ़ोतरी होती है साथ ही carbon emissions में कमी और किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत भी मिलता है। Social media पर कई users ने इस मॉडल को praise करते हुए यह कहा है कि “Cooperative sector अब ऊर्जा और खाद दोनों का उत्पादक बनेगा।”
देश में विस्तार 15 और sugar mills को समर्थन
Kopargaon की परियोजना सिर्फ एक पायलट स्टेप है। इसके बाद केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मॉडल को भविष्य में अन्य जगहों पर भी replicate किया जाएगा। Amit Shah ने यह घोषणा किया है कि 15 cooperative sugar factories को NCDC (National Cooperative Development Corporation) के माध्यम से funding दी जाएगी ताकि वे भी CBG + potash units को स्थापित कर सकें।
Economic Times की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना की लागत लगभग ₹55 करोड़ होने वाली है। ये units GAIL, BPCL, IFFCO, Rashtriya Chemicals & Fertilisers जैसे प्रमुख संस्थानों से tie-up करके अपनी output की बिक्री को सुनिश्चित करेंगी, जिससे project viability में मजबूती मिलेगी।
Social media और Google पर प्रतिक्रियाएँ, खोज प्रवृत्ति
Twitter, X और अन्य social platforms पर ये खबर तेजी से viral हो रही है। कई नीति-विश्लेषक, कृषि विशेषज्ञ और environment activists ने इस काम की प्रशंसा की, hashtags जैसे #CircularEconomy #CooperativeEnergy #AtmanirbharBharat trending में आ गया है।
Google Trends में यह देखा गया कि “cooperative compressed biogas India” और “Potash granule project Maharashtra” जैसे terms की खोजों में sharp spike आ चुका है। इस तरह की खोज प्रवृत्ति इस पहल की topical relevance को दर्शाती है।
कुछ users ने चिंता जताई कि इस तरह की high-tech परियोजनाएँ केवल बड़े cooperative units तक सिमित न रहें तथा ऐसे परियोजनाओं को छोटे sugar factories और rural cooperatives तक भी इसका विस्तार किया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
Kopargaon में स्थापित यह पहला cooperative-based Compressed Biogas + Potash Granule Project महाराष्ट्र या भारत के cooperative sector के लिए एक मजबूत पहल है। यह एक blueprint है कि कैसे sustainable energy, circular economy और किसान-आधारित models को एक साथ लाकर काम किया जा सकता है।
जब 15 और sugar factories इस मॉडल को अपनाएँगें, तब यह localized experiment न रहकर एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में देशभर में उजागर होगा। इसके माध्यम से energy security और import dependence को कम किया जाएगा तथा किसानों को भी आय के नए स्रोत मिलेंगे।
यह पहल दिखाती है कि भारत में नीतियों की बातें ही नहीं होती, यहां पर on-ground execution और innovation भी पूरे जोश से किया जाता है। अब आगे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ये योजनाएँ किस तरह ground-level पर लागू होकर किसानों व ग्रामीणों की ज़िंदगी में नया परिवर्तन लाती हैं।
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