Delhi Airport News 2025, भारत की राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां हाल ही में GPS Spoofing की घटना दर्ज की गई, जिसने देश की एविएशन सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह घटना 5 नवंबर 2025 के आसपास हुई, जब कई विमानों को अचानक गलत GPS सिग्नल मिलने लगे और उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा। यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई और एयरलाइंस को तुरंत आपातकालीन कदम उठाने पड़े।
क्या है GPS Spoofing?
GPS Spoofing एक ऐसी तकनीक है जिसमें झूठे या नकली GPS सिग्नल प्रसारित किए जाते हैं ताकि वास्तविक उपग्रह संकेतों में बाधा उत्पन्न हो और डिवाइस या विमान को गलत दिशा की जानकारी मिले।
सरल शब्दों में कहें तो, यह GPS हैकिंग का एक रूप है, जहां किसी सिस्टम को यह विश्वास दिलाया जाता है कि वह किसी और स्थान पर मौजूद है।
एविएशन के संदर्भ में यह बेहद खतरनाक है, क्योंकि विमान अपनी उड़ान, दिशा, और लैंडिंग के लिए GPS पर निर्भर रहते हैं। यदि यह सिग्नल गलत हो जाए, तो विमान दुर्घटना या मिसरूटिंग का शिकार हो सकता है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर कैसे हुआ GPS Spoofing Attack?
रिपोर्ट्स के अनुसार, 5 नवंबर 2025 की सुबह से ही दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने कुछ असामान्य GPS डेटा नोटिस किया। कई विमानों को Runway 28 और Runway 29 की ओर उतरते समय गलत दिशा की जानकारी मिलने लगी। कुछ विमान जो सामान्य रूप से IGI के दक्षिण-पश्चिम दिशा से आते हैं, वे अचानक उत्तर दिशा में विचलित हो गए।
DGCA (Directorate General of Civil Aviation) के अधिकारियों ने तुरंत स्थिति का संज्ञान लिया और GPS आधारित नेविगेशन को अस्थायी रूप से बंद कर दिया। इसके बाद विमानों को वैकल्पिक रडार गाइडेंस और विजुअल नेविगेशन के माध्यम से सुरक्षित लैंड कराया गया।
कितने विमान प्रभावित हुए?
सूत्रों के अनुसार, इस घटना से लगभग 12 से 15 उड़ानें प्रभावित हुईं। इनमें कुछ घरेलू और कुछ अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स शामिल थीं। हालांकि किसी बड़ी दुर्घटना की खबर नहीं आई, लेकिन यात्रियों में भय और असमंजस का माहौल बन गया था।
एयरपोर्ट के तकनीकी विभाग ने बताया कि GPS Spoofing की यह गतिविधि कुछ घंटों तक चली और उसके बाद सिस्टम को रीकैलिब्रेट कर सामान्य किया गया।
DGCA और सुरक्षा एजेंसियों की जांच शुरू
DGCA ने तुरंत एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है, जो यह पता लगा रही है कि यह GPS Spoofing भारत के भीतर से हुआ या किसी बाहरी स्रोत से। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए Aviation Security Bureau, Cyber Security Wing, और Ministry of Civil Aviation की संयुक्त टीम भी जांच में शामिल हो गई है।
जानकार लोगों का मानना है कि यह एक “Signal Interference Test” हो सकता है, जो जानबूझकर किसी देश या संगठन द्वारा किया गया हो। हालांकि, फिलहाल भारत सरकार ने इसे “Isolated Incident” बताया है और एयरपोर्ट पर सभी सुरक्षा प्रणालियों को अपडेट करने का निर्देश दिया है।
एविएशन सुरक्षा में तकनीकी बदलाव की जरूरत
इस घटना के बाद DGCA ने सभी एयरलाइंस को निर्देश दिया है कि वे अपने विमानों में Anti-Spoofing Technology और Signal Verification Systems को अनिवार्य रूप से लागू करें। इसके अलावा, एयरपोर्ट्स पर Frequency Monitoring Devices और Interference Detection Tools को बढ़ाने का सुझाव दिया गया है।

सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब “Aviation Cybersecurity Policy 2025” के तहत और सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई भी विदेशी या घरेलू एजेंसी हमारे नेविगेशन सिस्टम के साथ छेड़छाड़ न कर सके।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर GPS Spoofing के मामले
ऐसी घटनाएं केवल भारत में ही नहीं, बल्कि हाल के वर्षों में Middle East, Russia और Ukraine जैसे क्षेत्रों में भी सामने आई हैं। 2023 में ईरान के ऊपर और 2024 में Black Sea के पास कई विमानों को fake GPS signals मिलने की घटनाएं दर्ज की गई थीं। इससे साफ है कि GPS Spoofing अब एक वैश्विक सुरक्षा चुनौती बन चुकी है।
निष्कर्ष
दिल्ली एयरपोर्ट की यह घटना भारत के लिए एक चेतावनी की घंटी है कि तकनीकी युग में सुरक्षा खतरे अब केवल जमीन पर नहीं, बल्कि आकाश में भी मौजूद हैं। GPS Spoofing जैसी घटनाएं दिखाती हैं कि डिजिटल रक्षा भी अब राष्ट्रीय सुरक्षा का उतना ही अहम हिस्सा है जितना पारंपरिक हथियार।
भारत को चाहिए कि वह अपनी Aviation Security Infrastructure को और मजबूत करे, ताकि कोई भी नकली सिग्नल देश की उड़ानों को प्रभावित न कर सके।
ऐसी ही जानकारी के लिए साथ जुड़े है, धन्यवाद!
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1 thought on “Delhi Airport GPS Spoofing: नकली सिग्नल से उड़ी उड़ानों की दिशा, यात्रियों में मचा हड़कंप”