कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता खत्म करने की बड़ी कवायद: Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता में शिक्षा सुधारों पर अहम बैठक

देश में बढ़ती कोचिंग इंडस्ट्री और छात्रों की उस पर बढ़ती निर्भरता लंबे समय से एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए आज Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूल शिक्षा की खामियों से लेकर बोर्ड और entrance exams के बीच असमानता तक कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तारित रूप से चर्चा की गई। बैठक का एकमात्र केंद्रीय उद्देश्य यह था कि ऐसी रणनीतियों का समावेश करना जिससे छात्र स्कूलों में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और बाहरी कोचिंग की आवश्यकता न्यूनतम हो।

Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता
Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता

स्कूल पाठ्यक्रम और परीक्षाओं के बीच गैप : Dr. Vinit Joshi

बैठक का सबसे महत्वपूर्ण फोकस रहा syllabus gaps और difficulty level का mismatch होना। देश के विभिन्न शिक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रमों में अंतर और बोर्ड परीक्षाओं तथा राष्ट्रीय स्तर की entrance exams (जैसे JEE, NEET) के कठिनाई स्तर में असमानता के कारण छात्रों को स्कूल पढ़ाई पर्याप्त नहीं लगती। कहीं न कहीं इसी वजह से छात्र competitive exams की तैयारी के लिए coaching centres पर निर्भर हो जाते हैं, जिससे:

  • आर्थिक बोझ बढ़ता है।
  • मानसिक तनाव बढ़ता है।
  • स्कूल शिक्षा की भूमिका कमज़ोर पड़ती है।

विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि जब तक स्कूल सिस्टम और entrance exams में सामंजस्य स्थापित होगा, तब तक कोचिंग पर निर्भरता कम कर पाना मुश्किल है।

Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता
Department of Higher Education के Secretary Dr. Vinit Joshi की अध्यक्षता

Dummy Schools और Coaching का प्रभाव

बैठक में dummy schools के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। कई छात्र बोर्ड परीक्षा में उपस्थिति भरने के लिए स्कूल में नाम लिखाते हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी तरह कोचिंग संस्थानों में करते हैं।इस प्रवृत्ति से:

  • स्कूलों की शैक्षणिक विश्वसनीयता घटती है।
  • छात्रों का holistic development बाधित होता है।
  • शिक्षा का मूल उद्देश्य प्रभावित होता है।

अधिकारियों ने ऐसा माना कि इसमें प्रवेश परीक्षा आधारित सिस्टम की बड़ी भूमिका है, जो छात्रों को स्कूल के पारंपरिक learning environment से दूर कर देता है।

शिक्षकों की क्षमता और Formative Assessments की कमी

बैठक में यह भी स्पष्ट हुआ कि देशभर में शिक्षकों के skill enhancement की आवश्यकता है। कई स्कूलों में आधुनिक pedagogy, competency-based teaching और real time evaluation की कमी है। Formative assessments जहाँ छात्रों का निरंतर मूल्यांकन किया जाता है उसकी अनुपस्थिति से छात्रों की learning gaps के बारे में समय पर पहचान नहीं हो पाती, concept की clarity कमजोर रह जाती है, और बच्चों का competitive exams की तैयारी के लिए coaching पर निर्भरता बढ़ जाती है।

इसलिए शिक्षकों के प्रशिक्षण और स्कूलों में assessment culture को मजबूत करना बैठक का प्रमुख सुझाव दिया गया। इस सुधार के पश्चात कुछ ही सालों में बच्चों द्वारा स्कूली शिक्षा पद्धति पर भरोसा बढ़ेगा और कोचिंग संस्थानों पर निर्भर होने की आवश्यकता न के बराबर होगी।

Career Counselling की कमी

Meeting में यह भी सामने आया कि देश के ज्यादातर स्कूलों में proper career counselling की सुविधा मौजूद नहीं है। परिणामस्वरूप—

  • छात्रों को career options की सही जानकारी नहीं मिलती।
  • वे समाज या बाजार के दबाव में coaching-oriented careers चुन लेते हैं।
  • अक्सर गलत दिशा में चल पड़ते हैं।

यदि स्कूलों में career guidance को मजबूत किया जाए तो छात्रों के लिए सही राह चुनना आसान होगा और वे coaching dependent decisions से बच सकेंगे।

स्कूलों को Primary Centers of Learning बनाने पर जोर

Dr. Vinit Joshi ने बैठक में स्पष्ट कहा कि systemic reforms और collaborative efforts के बिना बदलाव संभव नहीं हो सकता है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि स्कूलों को ही छात्रों की पहली और प्रमुख शिक्षा का केंद्र बनना होगा, जहाँ वे:

  • entrance exams की तैयारी के लिए पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर सकें।
  • conceptual clarity पा सकें।
  • holistic learning के साथ आगे बढ़ें।

स्कूलों को सशक्त बनाना ही coaching निर्भरता कम करने का सबसे मजबूत कदम माना गया।

निष्कर्ष

यह बैठक स्पष्ट संदेश देती है कि भारत की शिक्षा प्रणाली को अब coaching driven model से student centric learning model की ओर मोड़ने का समय आ गया है। Syllabus alignment, teacher competency, assessment reforms और school-based preparation ये चार स्तंभ उस भविष्य की नींव हैं, जहाँ छात्र coaching के बिना भी competitive exams में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकें।

सरकार की यह पहल शिक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगी, साथ ही लाखों छात्रों और उनके परिवारों को आर्थिक, मानसिक और शैक्षणिक बोझ से मुक्ति दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

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