नई दिल्ली के भारत मण्डपम में आयोजित Global Food Regulators Summit 2025 (GFRS 2025) ने दुनिया को यह संदेश दिया कि सुरक्षित भोजन केवल सेहत का सवाल नहीं, बल्कि यह वैश्विक सहयोग और सतत विकास की दिशा में एक अहम कदम है। दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन का आयोजन भारतीय खाद्य सुरक्षा, मानक प्राधिकरण, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 26–27 सितंबर 2025 को किया गया। इस अवसर पर 70 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, अंतरराष्ट्रीय संगठन, नीति निर्माता, खाद्य उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ और शोधकर्ता एक मंच पर आए।
“भोजन सिर्फ ईंधन नहीं, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का आधार”
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव ने अपने संबोधन में कहा कि भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की नींव है। उन्होंने सम्मेलन की थीम “Evolving Food Systems – यथा अन्नं तथा मन” पर जोर देते हुए कहा कि “जैसा भोजन होगा, वैसा मन और वैसा ही समाज बनेगा।” जाधव ने यह भी बताया कि FSSAI देशभर में तीन लाख से अधिक स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ भोजन परोसने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
स्ट्रीट फूड से बायो-फूड तक पर चर्चा
इस वैश्विक सम्मेलन में स्ट्रीट फूड से लेकर बायो-फूड तक, हर स्तर पर सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार किया गया। कई सत्रों में पारंपरिक भारतीय व्यंजनों को आधुनिक मानकों के अनुरूप बनाने, डिजिटल निगरानी प्रणालियों के प्रयोग, और बायो-फूड के लिए अंतरराष्ट्रीय नियमों में सामंजस्य की जरूरत जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। नीतियों और नवाचारों के जरिये खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए विभिन्न देशों के नियामक संस्थानों ने अपने अनुभव साझा किए।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य एक समावेशी खाद्य सुरक्षा ढांचा (Inclusive Food Safety Framework) तैयार करना था, ताकि हर देश अपने स्तर पर खाद्य सुरक्षा के मानक को और बेहतर बना सके। विशेषज्ञों ने जोर दिया कि बदलते मौसम, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और नई तकनीकों के दौर में खाद्य सुरक्षा केवल सरकारी नीतियों से नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी से संभव है।
पारंपरिक खाद्य को वैश्विक मानकों से जोड़ने का फैसला
सम्मेलन में भारतीय पारंपरिक खाद्य पद्धतियों जैसे आयुर्वेदिक आहार, मिलेट्स, देसी मसाले और पारंपरिक व्यंजनों को भी महत्वपूर्ण स्थान दिया गया। NITI Aayog के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि “Ayurveda Aahara Regulations” जैसे ढाँचे पारंपरिक भोजन को आधुनिक विज्ञान और वैश्विक मानकों से जोड़ने में मदद करेंगे। यह न केवल स्थानीय किसानों को फायदा देगा बल्कि दुनिया को भारत की खाद्य संस्कृति से जोड़ने का अवसर भी प्रदान करेगा।
डिजिटल निगरानी और नई तकनीक पर फोकस
इस शिखर सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि भविष्य में डिजिटल सिस्टम और डेटा आधारित निगरानी को खाद्य सुरक्षा में तेजी से अपनाया जाएगा। इससे उत्पादन से लेकर पैकेजिंग और वितरण तक हर स्तर पर ट्रैकिंग आसान होगी। उपभोक्ता तक पहुँचने से पहले ही खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता का पता लगाया जा सकेगा, जिससे फूड पॉइजनिंग और नकली उत्पादों के खतरे को कम किया जा सके।
भारत बना वैश्विक चर्चा का केंद्र
इस सम्मेलन के जरिए भारत ने यह दिखा दिया कि वह सिर्फ कृषि उत्पादन में ही नहीं बल्कि वैश्विक खाद्य नियमन और सुरक्षित भोजन की दिशा में भी नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। FSSAI के “Eat Right India” अभियान, स्ट्रीट फूड हब्स और खाद्य व्यवसायियों के लिए बनाए गए सख्त नियमों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने सराहा। कई देशों ने भारत के मॉडल को अपने यहाँ अपनाने में दिलचस्पी दिखाई।
Global Food India 2025 के साथ जुड़ा आयोजन
दिलचस्प बात यह रही कि यह शिखर सम्मेलन World Food India 2025 के साथ आयोजित किया गया, जिससे अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को एक ही मंच पर आने का मौका मिला। इसने न केवल भारत की खाद्य प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए नए अवसर खोले, बल्कि निवेशकों और स्टार्टअप्स को भी सुरक्षित और टिकाऊ भोजन से जुड़े बिजनेस मॉडल पर काम करने की प्रेरणा दी।
निष्कर्ष
नई दिल्ली में आयोजित Global Food Regulators Summit 2025 ने यह साबित कर दिया कि भोजन की सुरक्षा किसी एक देश का मुद्दा नहीं बल्कि पूरी दुनिया की साझा जिम्मेदारी है। स्ट्रीट फूड से लेकर बायो-फूड तक हर स्तर पर गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करना आने वाले समय में स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए जरूरी है। भारत ने इस मंच के जरिए न केवल अपनी पारंपरिक खाद्य संस्कृति को वैश्विक पटल पर रखा बल्कि डिजिटल तकनीक और मजबूत नियामक नीतियों के जरिए सुरक्षित भोजन का रोडमैप भी पेश किया।
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