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रक्षा अधिकारियों को Corporate Boards में लाने की दिशा में कदमः Indian Institute of Corporate Affairs और Directorate General Resettlement ने तीसरी बैच का प्रमाणपत्र प्रोग्राम शुरू किया

गुरुग्राम मानेसर स्थित IICA (Indian Institute of Corporate Affairs) के परिसर में रक्षा मंत्रालय की DGR के सहयोग से वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के लिए एक विशेष प्रमाणन कार्यक्रम (certification programme) का तीसरा बैच आरंभ कर दिया गया है। यह पहल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिससे भारत की रक्षा सेना (armed forces) की नेतृत्व क्षमता और कॉर्पोरेट शासन (corporate governance) के बीच हयोगात्मक सम्बन्ध बनाने में सफलता प्राप्त होगी।

IICA और DGR द्वारा आयोजित यह दो सप्ताह (two week) का प्रमाणन प्रोग्राम

IICA और DGR प्रशिक्षण का स्वरूप व उद्देश्य

IICA और DGR द्वारा आयोजित यह दो सप्ताह (two week) का प्रमाणन प्रोग्राम लगभग 30 senior defence officers के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें देश की तीनों सेनाओं Army, Navy, और Air Force के सेवारत तथा हाल ही में सेवानिवृत्त (recently superannuated) अधिकारी शामिल किए गए हैं।

इस प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य इन अधिकारियों को Independent Director के रूप में कॉर्पोरेट बोर्ड्स में योगदान देने के लिए तैयार करना है। इसमें corporate governance की अवधारणाएँ, नियामक परिस्थितियाँ और बोर्ड की भूमिका जिम्मेदारी (roles & responsibilities of Independent Director) को समझाया जाने वाला है।

रक्षा मानवाद और बोर्ड संचालन में संगम

समारोह के उद्घाटन में IICA के DG & CEO Gyaneshwar Kumar Singh ने अपने संबोधन में यह जोर दिया कि India Inc और armed forces के बीच संयोजन (convergence) अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि रक्षा अधिकारियों के नेतृत्व कौशल, रणनीतिक दृष्टिकोण एवं परियोजना प्रबंधन (project management) की विशेषज्ञता कॉर्पोरेट बोर्ड्स में नए रास्ते को खोल सकती है।

साथ ही, Lt Gen Manoj Kumar Katiyar ने अपने भाषण में उल्लेख किया कि सेना जीवन में स्थापित मूल्यों जैसे trust और integrity वास्तव में सफल Independent Director बनने की आधारशिला होती है। उन्होंने कहा कि यह विचार सिर्फ सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस के लिए भी समान रूप से प्रासंगिक हैं।

IICA और DGR का प्रशिक्षण प्रभाव और भविष्य दृष्टि

इस कार्यक्रम में केवल थ्योरी सत्र नहीं बल्कि practical विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है,जैसे कि board dynamics, regulatory frameworks, strategic decision making) तथा cyber-security की चुनौतियाँ। रक्षा अधिकारियों द्वारा कॉर्पोरेट बोर्ड्स में शामिल होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दो विंगीय लाभ मिलता है, एक ओर कंपनियों को रणनीतिक सोच, नेतृत्व क्षमता और उच्च स्तरीय अनुशासन देखने को मिलता है, दूसरी ओर सेनाओं से आये अधिकारी सामाजिक वित्तीय क्षेत्र में अपने अनुभव का उपयोग करके राष्ट्र निर्माण के राह में मजबूत योगदान प्रदान कर सकते हैं।

IICA ने यह बताया है कि इस प्रशिक्षण क्रम के बाद प्रतिभागियों को विभिन्न सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों (public and private sector companies) के बोर्ड्स में बैठने के लिए सक्षम बनाया जाएगा। जिससे वो इस दिशा में भी अपनी क्षमता को प्रदर्शित कर सकेंगे।

IICA और DGR द्वारा आयोजित यह दो सप्ताह (two week) का प्रमाणन प्रोग्राम

चुनौतियाँ और अवसर

बोर्ड सदस्य के रूप में रक्षा अधिकारी जिन्हें तैयार किया जा रहा है, उनके सामने कुछ खास चुनौतियाँ भी देखने को मिल सकती है, जैसे कॉर्पोरेट संस्कृति में संक्रमण (transition into corporate culture), व्यवसाय परिप्रेक्ष्य (commercial mindset) अपनाना, तथा कंप्लायंस परिस्थितियों (regulatory compliances) की जटिलताओं को समझना। इसी सिलसिले में IICA ने Behavioural and Professional Traits, Executive Search Firms की अपेक्षाओं आदि पर ध्यान केंद्रित करने का काम किया है।

वहीं, इस पहल को अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है, भारत की 5 Trillion Dollar इकोनॉमी की दिशा में सुरक्षा सेना और कॉर्पोरेट क्षेत्र के बीच नए एवं समेकित मॉडलों की संभावना खुलती है। रक्षा रणनीति, प्रौद्योगिकी प्रबंधन, साइबर सुरक्षा जैसे विषयों में अनुभवी अधिकारी कंपनियों को बेहतर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ (competitive advantage) दे सकते हैं।

निष्कर्ष

IICA और DGR द्वारा शुरू किया गया यह तीसरा बैच सिर्फ एक प्रशिक्षण सत्र नहीं है बल्कि यह एक दृष्टिकोण परिवर्तन (mind shift) का प्रतीक माना जा रहा है। यहाँ रक्षा, सेना की अनुशासन शक्ति और कॉर्पोरेट गवर्नेंस की आधुनिक आवश्यकताएँ एक मंच पर मिल रही हैं।

यदि यह मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो भारत में कोर्ट बोर्ड शिक्षण, रक्षा और व्यवसाय संपर्क, और नेतृत्व नेटवर्क का क्षेत्र नई ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है। इस प्रकार यह पहल एक व्यक्तिगत अधिकारी परिवर्तन नहीं बल्कि भारत के कॉर्पोरेट गवर्नेंस व रक्षा संवर्धन के दायरे में एक नए युग की शुरुआत भी है।

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