मुंबई में आयोजित की गई Maritime Leaders Conclave में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की समुद्री (maritime) महत्वाकांक्षाओं को एक नया मोड़ दिया। उन्होंने 2.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का शुभारंभ किया, जिससे देश की “blue economy” में सुदृढ़ता, पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिकता और भारत को एक प्रमुख समुद्री शक्ति (global maritime hub) बनने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने भारत को एक रणनीतिक स्वायत्त (strategic autonomy), शांति (peace) और समावेशी विकास (inclusive growth) का प्रतीक के रूप में संबोधित किया।
भारत की Maritime क्षमता में विस्तार
Conclave में प्रधानमंत्री मोदी ने यह बताया कि पिछले कुछ वर्षों से भारत अपने पोर्ट्स, पानी के भीतर के मार्ग (inland waterways), और क्रूज टूरिज्म (cruise tourism) को लेकर अभूत-पूर्व प्रगति की ओर है। उन्होंने कहा कि भारत आने वाले समय में समुद्री सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स (logistics) और शिपबिल्डिंग (shipbuilding) में वैश्विक मानकों को निश्चित ही हासिल करेगा।
उनका ऐसा मानना है कि भारत “steady lighthouse” बन रहा है, जो यह दर्शाता है कि वैश्विक समुद्री विवाद और तटीय चुनौतियों के बीच भारत एक भरोसेमंद और स्थिर शक्ति के रूप में तटस्थ होकर खड़ा है।
2.2 लाख करोड़ की योजनाओं का महत्व
इस कार्यक्रम के दौरान 2.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निवेश घोषणाएँ और परियोजनाएँ पेश की गईं है, जिसमें 437 नए जहाजों के ऑर्डर और बड़े-पैमाने पर पोर्ट को विस्तार करने का काम शामिल हैं।
इस निवेश की प्रमुख विशेषताएं हैं:
- पोर्ट्स की क्षमता बढ़ाना और टर्नअराउंड टाइम (turn-around time) को घटाना।
- शिपिंग और क्रूज-सर्विसेज में भारत के स्वदेशी हस्तक्षेप को बढ़ावा देना।
- ग्रीनहाइड्रोजन (green hydrogen) जैसी स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) तकनीकों के माध्यम से समुद्री लॉजिस्टिक्स को पर्यावरण-अनुकूल बनाना।
उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत के जेएनपीटी (JNPT) टर्मिनल की क्षमता दोगुनी हो चुकी है तथा कंटेनर डवेल टाइम तीन दिन से भी कम हो गया है, जो कई विकसित देशों से बेहतर स्थिति इंगित करता है।
रणनीतिक स्वायत्तता, समावेशी विकास और वैश्विक भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर यह स्पष्ट किया कि भारत की समुद्री नीति सिर्फ आर्थिक लक्ष्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की strategic autonomy से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि बढ़ती वैश्विक टकरावों (global tensions) के बीच भारत शांति और सहयोग का प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत के लिए जरूरी है समुद्री मार्गों (sea-routes) पर नियंत्रण के साथ इनसे जुड़े logistics chains, digital connectivity, और maritime services को भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया जाए। इससे भारत inclusive growth के अपने विजन को समुद्री विकास के माध्यम से और आगे ले जाने में सक्षम होगा।
सोशल मीडिया और Google एक्टिविटी का विश्लेषण
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Twitter (X), LinkedIn और फेसबुक पर इस सम्मेलन की चर्चा व्यापक रूप से देखी जा रही है। #MaritimeIndia, #BlueEconomy, #IndiaMaritimeWeek जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे। विश्लेषकों ने यह बताया कि Google Trends में “India maritime investment 2025”, “shipbuilding India”, “blue economy India” जैसे कीवर्ड्स ने अचानक वृद्धि दर्ज की है।
इससे यह संकेत मिलता है कि जनता और उद्योग दोनों ही भारत के समुद्री क्षेत्र में हो रही तेजी से हो रही प्रगति को अधिक-से-अधिक जानना चाहते हैं। मीडिया कवरेज ने भी यह रेखांकन किया कि कैसे भारत ने पिछले वर्षों में लॉजिस्टिक्स लागत, कंटेनर हैंडलिंग टाइम और पोर्ट-इंडस्ट्रिल संबंधों में सुधार किया गया है।
निष्कर्ष
मुम्बई में आयोजित Maritime Leaders Conclave में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पेश की गई 2.2 लाख करोड़ रुपये की निवेश योजना और समुद्री नीति का नया दृष्टिकोण भारत के लिए आर्थिक अवसर के साथ वैश्विक नेतृत्व, समुद्री सुरक्षा एवं स्वायत्तता की दिशा में एक संवेदनशील मोड़ है।
अगर इन पहलों को समय-बद्ध और समग्र रूप से लागू किया गया, तो आने वाले दशक में भारत निश्चित ही global maritime hub बन सकता है, और विश्व में blue economy के चेहरे को भी पुनर्परिभाषित कर सकता है। आज का यह कदम भारत को भविष्य के महासागर-युग में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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