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भारत वैश्विक “Earth Protection Leadership” के लिए तैयार: लखनऊ में 26वें International Global Chief Justice Conference में डॉ. जितेंद्र सिंह का संबोधन

लखनऊ में आयोजित किया गये 26वां International Global Chief Justice Conference में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की बदलती वैश्विक भूमिका, पर्यावरण संरक्षण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता और न्यायिक प्रशासनिक सहयोग की आवश्यकता पर विस्तृत रूप से अपने विचार को प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में दुनिया के कई देशों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायविद, प्रशासनिक अधिकारी और नीति विशेषज्ञ शामिल हुए थे, जिससे यह आयोजन वैश्विक न्यायिक सहयोग और सतत विकास पर संवाद का एक प्रभावशाली मंच बन गया।

लखनऊ में 26वां International Global Chief Justice Conference

अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अब Earth Protection के वैश्विक अभियान का नेतृत्व करने में सक्षम है, और भारत की नीतियों तथा शासन मॉडल ने इस दिशा में मजबूत आधार तैयार किया है।

पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, न्यायिक सुधार और वैश्विक शासन की चुनौतियों पर आधारित यह सम्मेलन ऐसे समय आयोजित हुआ है जब दुनिया sustainability और climate resilience के लिए मजबूत कानूनी और प्रशासनिक ढांचे की तलाश में है। भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने की क्षमता ही नहीं दिखा रहा है, बल्कि Green Growth, Renewable Energy Transition, Mission LiFE और climate justice जैसे नवीन प्रयासों के माध्यम से दुनिया के बाकी देशों के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल भी प्रस्तुत कर रहा है।

ऐसे में, डॉ. जितेंद्र सिंह का यह कहना कि “भारत पृथ्वी संरक्षण के वैश्विक अभियान का नेतृत्व करने में सक्षम है।” यह कथन भारत की उभरती वैश्विक पहचान को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।

भारत की भूमिका: पृथ्वी संरक्षण के वैश्विक नेता के रूप में

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने वक्तव्य में बताया कि भारत आज जलवायु संबंधी अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया:

न्यायपालिका और प्रशासन की संयुक्त जिम्मेदारी

सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण संदेश यह रहा कि environmental governance सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि न्यायपालिका, प्रशासनिक संस्थानों, और समाज के सभी हिस्सों की संयुक्त जिम्मेदारी भी है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को सक्षम बनाने के लिए मजबूत legal frameworks, प्रभावी policy enforcement, और न्यायपालिका द्वारा timely adjudication अनिवार्य है।

लखनऊ में 26वां International Global Chief Justice Conference

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने पिछले वर्षों में पर्यावरण-संबंधित प्रकरणों को तेजी से सुनने और हल करने के लिए विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरणों, डिजिटल केस मैनेजमेंट सिस्टम और पारदर्शी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को अपनाने का काम किया है।

भारत का वैज्ञानिक और तकनीकी योगदान

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और डिजिटल गवर्नेंस मॉडल मिलकर पृथ्वी संरक्षण को नई दिशा देने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

प्रमुख योगदानों पर जोर:

उन्होंने कहा कि तकनीक और न्यायिक प्रणाली का समन्वय सतत विकास के लिए अनिवार्य है।

Global Chief Justice Conference: अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा

सम्मेलन में विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायविदों ने वैश्विक मुद्दों पर अपने अनुभव साझा किए।
चर्चाओं में इन बिंदुओं पर विस्तृत बातचीत की गई –

दुनिया भर में न्यायपालिका अब environmental jurisprudence को नई दिशा देने के लिए कार्य कर रही है, और भारत इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

Indian Governance Model और पर्यावरण संरक्षण का संबंध

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने भाषण में यह भी कहा कि भारत का governance model आज global best practices में शामिल हो चुका है। चाहे Digital India, Swachh Bharat Mission, Amrit Sarovar, Green Highways, या Smart Cities Mission हो, हर पहल sustainable development को निरंतर आगे बढ़ावा दे रही है।

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत एक ऐसे विकास मॉडल का निर्माण कर रहा है जो economic growth और environmental protection दोनों को साथ लेकर चलता है और इसे विश्व भर के देश अपनाने लगे हैं।

निष्कर्ष

लखनऊ में आयोजित 26वें International Global Chief Justice Conference में भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह आने वाले वर्षों में पृथ्वी संरक्षण और climate justice के वैश्विक अभियानों का नेतृत्व करने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का वक्तव्य कोई नीति बयान नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक ज़िम्मेदारी और क्षमता का स्वाभाविक विस्तार है।

जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय चुनौतियाँ और न्यायिक प्रशासनिक सुधार, इन सभी क्षेत्रों में भारत का दृष्टिकोण अब दुनिया के लिए दिशा निर्देशक बन रहा है। यदि भविष्य में यही गति बरकरार रहती है, तो भारत अपने नागरिकों के साथ संपूर्ण विश्व के लिए पृथ्वी संरक्षण का संवाहक और नेतृत्वकर्ता बनकर उभरेगा।

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