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भारत ने G7 Foreign Ministers Meeting में Energy Security & Critical Minerals पर अपनी रणनीति प्रस्तुत की — विदेश मंत्री S. Jaishankar की कनाडा में सक्रिय सहभागिता

कनाडा के Niagara on the Lake में आयोजित की गई G7 Foreign Ministers Meeting के Outreach Session on Energy Security & Critical Minerals में भारत ने वैश्विक आपूर्ति शृंखला (supply chain) और रणनीतिक खनिज (critical minerals) के क्षेत्र में अपनी चिंताओं और लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से जाहिर किया। विदेश मंत्री S. Jaishankar ने इस मंच पर कहा कि dependence को कम करना, पूर्वानुमान योग्यता (predictability) को मजबूत करना और resilience को बढ़ाना आज अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए बहुत अनिवार्य है।

S. Jaishankar की G7 Foreign Ministers Meeting में सहभागिता

वैश्विक ऊर्जा संकट और रणनीतिक खनिज की भूमिका

S. Jaishankar ने इस बैठक में स्पष्ट किया कि वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा (energy security) और रणनीतिक खनिजों की निर्भरता विश्व अर्थव्यवस्था एवं भू-राजनीति दोनों को प्रभावित करने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि unpredictability and market constrictions in global supply को हल करने की अत्यंत आवश्यकता है, क्योंकि यह हमारे विकल्पों को सीमित कर रहा है।

भारत ने यह आग्रह किया है कि वर्तमान समय में इन चुनौतियों से निपटने के लिए multilateral सहयोग, नीति समन्वय (policy coordination) और आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण (supply chain diversification) की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता पड़ने की पूर्ण संभावना है।

G7 Foreign Ministers Meeting में भारत-के परिप्रेक्ष्य और रणनीतिक पहल

व्याख्यान में S. Jaishankar ने कहा कि भारत का हृदय हमेशा इस दिशा में खुला हुआ है और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों (international partners) के साथ रचनात्मक तरीके से काम करने को सर्वथा तैयार भी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि implementation is the key, किसी भी कार्य को सफल बनाने के लिए नीतियों का धरातल पर क्रियान्वयन ही एक सच्चा और अनोखा मापदंड है।

विशेष रूप से, भारत ने मांग उठाई है कि स्थानीय स्रोतों (domestic sources), जल विद्युत प्रणालियों (hydro power systems) एवं रणनीतिक खनिजों के उत्पादन विकास को तेज किया जाना चाहिए। इस प्रकार भारत की रणनीति सिर्फ उपभोक्ता रूप से भागीदार रूप की ओर अग्रसर होती दिख रही है।

आगे की चुनौतियाँ और प्रस्तावित समाधान

G7 Foreign Ministers Meeting में यह चर्चा हुई कि सिर्फ नीति घोषणा ही पर्याप्त नहीं होगी, वास्तविकता में ऊर्जा आपूर्ति (energy supply), खनिज उत्पादन (mineral production) और पर्यावरण मानदंड (environmental standards) को भी सामंजस्य में लाना होगा। S. Jaishankar ने यह संकेत दिया है कि भारत योजनाबद्ध विकास (planned development), शोध सहयोग (research collaboration) तथा तकनीकी नवाचार (technological innovation) के माध्यम से विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की चाहत रखता है।

S. Jaishankar की G7 Foreign Ministers Meeting में सहभागिता

साथ ही, इस क्षेत्र में विभिन्न देशों की आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता को कम करने के लिए निवेश (investment), स्थिर विनियमन (stable regulation) और partnership models को प्राथमिकता देने पर अधिक जोर दिया गया।

निष्कर्ष

G7 Foreign Ministers Meeting में भारत की सक्रिय भागीदारी यह संकेत देती है कि अब ऊर्जा खाता (energy domain) और रणनीतिक खनिज (critical minerals) सिर्फ वैज्ञानिक या उद्योग मुद्दा नहीं रहा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा वित्तीय स्थिरता की अहम कड़ी बन चुका है। जब विदेश मंत्री S. Jaishankar ने mitigate dependence, strengthen predictability and build resilience जैसे बिंदुओं को रखा, तब यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका fortalecer करने की दिशा में अग्रसर है।

वास्तव में G7 Foreign Ministers Meeting एक संवाद मंच नहीं बल्कि भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर है, जहाँ नीति निर्माता, उद्योग उत्पादक और अंतरराष्ट्रीय साझेदार मिलकर future readiness के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं।

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