नेपाल की राजनीति में एक बार फिर बड़ा बदलाव देखा गया है कि President Ramchandra Paudel ने हाल ही में नियुक्त अंतरिम Prime Minister Sushila Karki की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा (House of Representatives) को भंग कर दिया है। अब अगले साल नए संसदीय चुनाव कराने की घोषणा की गई है। इस फैसला से नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और लोकतांत्रिक व्यवस्था के भविष्य को लेकर चिंता का विषय बनते जा रहा है।
राजनीतिक घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
बीते कई दिनों से नेपाल आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। बार-बार सरकार के बदलने और गठबंधन की राजनीति ने प्रशासनिक कामकाज पर काफी असर डाल रहा है। हाल ही में Sushila Karki को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, जिनके पहले बड़े कदम के रूप में संसद भंग करने की सिफारिश सामने आई। President Ramchandra Paudel ने इस सिफारिश को मंजूरी देते हुए स्पष्ट कर दिया कि अब देश की जनता ही नए जनादेश के जरिए अगली सरकार का फैसला करेगी।
आने वाले चुनाव और जनभावनाएँ
नए चुनाव की घोषणा से नेपाल की जनता में उत्सुकता और नई उम्मीदों को भी जन्म दे रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे “लोकतंत्र को मजबूत करने का अवसर” बता रहे हैं, तो बहुत से नागरिक बार-बार की राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर नाराज़गी जता रहे हैं। खासकर युवा वर्ग का ऐसा मानना है कि नए चुनाव से stability और development की दिशा में ठोस पहल होनी ही चाहिए।
निष्कर्ष
नेपाल में संसद भंग करने और नए चुनाव कराने का यह फैसला देश के राजनीतिक इतिहास में अहम मोड़ साबित हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले चुनाव किस तरह की सरकार को जन्म देगी और क्या यह कदम वास्तव में नेपाल की लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत कर पाएगा?
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