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आदिवासी शिक्षा में गुणवत्ता का नया अध्याय: NESTS ने आयोजित किया ‘Building Quality Infrastructure for Tribal Education’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला

नई दिल्ली स्थित आकाशवाणी भवन को एक महत्वपूर्ण शैक्षिक आयोजन का केंद्र बनाया गया, यहाँ National Education Society for Tribal Students (NESTS) ने “Building Quality Infrastructure for Tribal Education” पर एक प्रभावशाली दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था कि आदिवासी विद्यार्थियों के लिए ऐसी शैक्षिक संरचना तैयार करना जो आधुनिक सुविधाओं, सतत विकास सिद्धांतों और प्रभावी सीखने (Effective Learning) के अनुरूप हो।

NESTS ने आयोजित किया ‘Building Quality Infrastructure for Tribal Education’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला

यह कार्यक्रम सरकार द्वारा Eklavya Model Residential Schools (EMRSs) को मजबूत करने के निरंतर प्रयासों का हिस्सा है। इसका लक्ष्य है कि प्रधानमंत्री के “Tribal Transformation Through Education” विज़न को वास्तविकता में बदलना।

भारत की जनजातीय जनसंख्या देश की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक संरचना का एक मजबूत स्तंभ है। फिर भी, दशकों तक आदिवासी समुदाय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आधुनिक सुविधाओं से वंचित रहा है। इसी अंतर को कम करने के लिए भारत सरकार EMRSs, डिजिटल शिक्षण, शिक्षक प्रशिक्षण, और विकसित आधारभूत संरचना पर निरंतर निवेश कर रही है।

नई दिल्ली में आयोजित किया गया यह कार्यशाला इसी दिशा में एक निर्णायक कदम था। इसमें शिक्षा विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, EMRS प्रशासकों, वास्तुकारों, तकनीकी विशेषज्ञों और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने आदिवासी विद्यार्थियों के लिए विश्वस्तरीय शैक्षिक वातावरण तैयार करने पर गंभीर और रचनात्मक चर्चा किया गया।

NESTS द्वारा आयोजित कार्यशाला का उद्देश्य

NESTS द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य उद्देश्य था कि देशभर में तेजी से विकसित हो रहे Eklavya Model Residential Schools को global education standards के अनुरूप बनाया जाए। इन दो दिनों में निम्न मुख्य विषयों पर गहन चर्चा हुई:

EMRSs: आदिवासी शिक्षा में परिवर्तन का प्रमुख माध्यम

भारत सरकार लगभग 740 से अधिक Eklavya Model Residential Schools विकसित कर रही है, जिनमें से कई पहले ही संचालन में है। कार्यशाला में विशेषज्ञों ने EMRS मॉडल की विशेषताओं को रेखांकित किया-

कार्यशाला में यह भी बताया गया कि EMRSs ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में आदिवासी बच्चों के लिए शिक्षा समानता (Educational Equity) का सबसे बड़ा माध्यम बन रहा है।

शिक्षक प्रशिक्षण और डिजिटल शिक्षा पर भी रहा विशेष जोर

उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का आधार कोई भव्य भवन नहीं, बल्कि प्रशिक्षित शिक्षक और आधुनिक शिक्षण तकनीकें होती है। इसलिए कार्यशाला में EMRS शिक्षकों के लिए continuous capacity building, Digital Lesson Planning, AI based learning tools, Smart Curriculum Mapping और Hybrid learning models पर विस्तार से चर्चा की गई।

NESTS ने आयोजित किया ‘Building Quality Infrastructure for Tribal Education’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला

NESTS ने यह भी प्रस्तुत किया कि अगले कुछ वर्षों में EMRSs को पूर्णतः Smart Schools में बदलने की योजना है, जहाँ शिक्षण प्रक्रियाओं में डिजिटल तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Tribal Culture और Education का संतुलन: विशेष सत्रों में महत्वपूर्ण चर्चा

कार्यशाला का एक अनूठा पहलू यह रहा कि इसमें Tribal Culture के संरक्षण और शिक्षा को आधुनिक बनाने के बीच संतुलन पर विशेष चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने कुछ बातों पर विशेष जोर दिया-

Prime Minister’s Vision: Tribal Transformation Through Education

प्रधानमंत्री ने अपने भव्य दृष्टिकोण से यह स्पष्ट आदेश दिया है कि “Tribal Transformation Through Education” का मुख्य आधार है। यह शिक्षा का वह माध्यम है जो, सामाजिक समानता सुनिश्चित करती है, कौशल आधारित अर्थव्यवस्था का मार्ग खोलती है, tribal communities को mainstream में सशक्त बनाती है और आने वाली पीढ़ी के लिए अवसरों का विस्तार करती है। इस कार्यशाला ने इस दृष्टिकोण को ground level पर लागू करने की रणनीति को और स्पष्ट किया।

निष्कर्ष

NESTS द्वारा आयोजित यह दो दिवसीय कार्यशाला आदिवासी शिक्षा को नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक प्रयास है। यह केवल एक आयोजन ही नहीं है, बल्कि Tribal Education को वैश्विक स्तर की गुणवत्ता देने की दिशा में एक ठोस कदम है।

EMRSs को sustainable, modern, digitally empowered और culturally supportive शिक्षा मॉडल में बदलने की प्रक्रिया निश्चित रूप से आदिवासी छात्रों के जीवन में परिवर्तन लाएगी। यह वही परिवर्तन है जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री के Viksit Bharat 2047 और Tribal Transformation Through Education में की गई है।

भारत का भविष्य तभी मजबूत होगा जब आदिवासी बच्चे भी समान अवसर, उच्च गुणवत्ता और आधुनिक शिक्षा से सशक्त होकर राष्ट्रनिर्माण में भागीदारी प्रदान करेंगे और इस दिशा में यह आयोजित कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित होगी।

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