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राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने जनजातीय गौरव दिवस में उठाया आदिवासी विकास का महत्व — अंबिकापुर में नए आयामों की ओर

Droupadi Murmu ने छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर (सरगुजा जिला) में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में जनजातीय समुदायों के योगदान, उनकी परंपराओं एवं विकास पथ पर गहरी बात कही। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आदिवासी कल्याण भारत सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए राष्ट्रीय योजनाओं के माध्यम से समर्पित प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने उठाया आदिवासी विकास का महत्व

राजधानी से दूर अंबिकापुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम एक ऐसा समारोह था जहां देश की आदिवासी संस्कृति, उनकी आजीविका और सामाजिक समावेशन के प्रति एक नए दृष्टिकोण को उजागर किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने आदिवासी समाज की गौरवशाली विरासत को उजागर किया तथा अगले दसकों के लिए दिशा निर्देश किया। यह कदम स्पष्ट दिखाता है कि जनजातीय क्षेत्र विकास सिर्फ कल्याण कार्यक्रम नहीं है बल्कि राष्ट्रीय प्रगति के अभिन्न अंग हैं।

जनजातीय समाज का गौरव और इतिहास में उनका योगदान: Droupadi Murmu

राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने अपने संबोधन में कहा कि आदिवासी समुदायों का योगदान भारत के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है। उन्होंने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की बस्तर क्षेत्र की जनजातियों की संस्कृति, परंपराओं और सामाजिक संरचनाओं का सम्मान किया। उदाहरण के लिए, उन्होंने यह रेखांकित किया कि बस्तर के मुरिया दरबार जैसी जनजातीय परंपराओं में लोकतंत्र और सामाजिक समन्वय की जड़ें मौजूद हुई है।

यह वाक्यांश एक प्रतीकात्मक संकेत ही नहीं है बल्कि यह दिखाता है कि आदिवासी समाज ने अपनी पारंपरिक व्यवस्था में भी सामाजिक न्याय, साझा निर्णय प्रक्रिया और समरसता के तत्व को विकसित किया है। ऐसे संदर्भ में उन्हें विकास प्रक्रिया में साझेदार बनाने का दृष्टिकोण अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

Droupadi Murmu ने बताया विकास योजना और सरकारी प्रतिबद्धता

राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए कई राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय योजनाएँ सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही हैं। इनमें प्रमुख हैं:

इन पहलों के माध्यम से सरकार यह संदेश दे रही है कि आदिवासी विकास बुनियादी सुविधाओं तक सीमित न होकर उन्हें सशक्त जीवन मॉडल में बदलने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने यह कहा कि अब यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय कार्य योजनाओं का क्रियान्वयन समय पर, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से हो।

राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने उठाया आदिवासी विकास का महत्व

नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास और मुख्यधारा में समावेशन

एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में Droupadi Murmu ने यह ध्यान दिलाया कि नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में लोग उग्रवाद का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने इस घटना को देश के लिए एक सकारात्मक संकेत माना और कहा कि जल्द ही विस्तारित प्रयासों द्वारा इस चुनौती का अन्त संभव होगा।

यहाँ यह कहना उचित होगा कि आदिवासी क्षेत्रों में सुरक्षा प्रशासन विकास का समन्वय विशेष महत्व रखता है। जब आजीविका, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाएँ धरातल पर सक्रिय हों, तब उग्रवाद जैसी चुनौतियाँ कमजोर पड़ती है। राष्ट्रपति का यह बयान इस दिशा में आगे बढ़ने की स्पष्ट घोषणा है।

संस्कृति परंपरा और प्रशासनिक दृष्टिकोण का संगम

कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने यह कहा कि आदिवासी परंपराओं से जुड़ा सौंदर्य, उनकी लोककला, भाषा संस्कृति और हथकरघा जैसे कार्य मॉडल सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं बल्कि आर्थिक अवसर भी हैं। उन्होंने प्रशासनिक दृष्टिकोण से यह संकेत दिया कि इन परंपराओं को आधुनिक विकास मॉडल से जोड़कर स्थायी आजीविका स्रोत बनाया जा सकता है।

उदाहरण के तौर पर, बस्तर क्षेत्र में निर्मित मुरिया दरबार जैसी परंपराएँ एक सामाजिक मंच रही है, जहाँ जन सम्मेलन, निर्णय प्रक्रिया और पारंपरिक न्याय प्रणाली जनता सहभागी आधार पर चलती रही है। ऐसे सांस्कृतिक तत्वों को हम आधुनिक ग्राम उत्कर्ष अभियान या skill training कार्यक्रमों से लिंक कर सकते हैं, जिससे आदिवासी युवाओं को रोजगार सृजन का नया रास्ता मिलता है।

स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की सक्रियता

अंबिकापुर में इस कार्यक्रम के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने अन्य तैयारियों को भी गति दी है। आयोजन स्थल सजाने से लेकर प्रतिभागियों की सूची, सुरक्षा व्यवस्था और जन प्रदर्शनी तक सभी स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी थी। कार्यक्रम में राज्यपाल, मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री भी उपस्थित थे।

इस प्रकार यह कदम यह स्पष्ट करता है कि आदिवासी विकास को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था अब सिर्फ योजना निर्धारण तक सीमित नहीं रह गई, बल्किवास्तविक धरातल पर भी कार्य करने के लिए बाध्य है। शासन निर्माण (governance) और सामाजिक समावेशन (social inclusion) का संगम अब अधिक स्पष्ट देखा जा सकता है।

निष्कर्ष

अंबिकापुर में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस समारोह में राष्ट्रपति Droupadi Murmu द्वारा दिए गए संदेश यह दर्शाते हैं कि भारत की आदिवासी नीति अब सिर्फ सामाजिक कल्याण तक सीमित नहीं बल्कि राष्ट्रीय विकास की धारा में भी समाहित हो चुकी है। तीन मुखी रणनीतियों के अंतर्गत आदिवासी गौरव के प्रति नई जागरूकता, योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, तथा उग्रवाद प्रभावित इलाकों में समावेशन के माध्यम से यह अभियान देश के लिए एक नए मापदंड का संकेत दे रहा है।

भविष्य में, यदि यह कदम समयबद्ध, पारदर्शी और क्षेत्र विशिष्ट होता है तो, तो छत्तीसगढ़ जैसे जनजातीय क्षेत्र निश्चित ही अधिक समृद्धि, शांति और सामाजिक सशक्तिकरण की ओर अग्रसर होगा। यह अवसर सिर्फ उत्सव सिमित नहीं बल्कि बदलाव की शुरुआत है।

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