राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने शुक्रवार को सिकंदराबाद स्थित ऐतिहासिक राष्ट्रपति निलयम में आयोजित भारतीय कला महोत्सव (Indian Art Festival) के दूसरे संस्करण का शुभारंभ किया। नौ दिनों तक चलने वाला यह भव्य सांस्कृतिक आयोजन भारत की विविध, समृद्ध और बहुरंगी कलात्मक परंपराओं को एक ही मंच पर प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास है। इस आयोजन को राष्ट्रपति निलयम द्वारा संस्कृति मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय और पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है, जिससे यह महोत्सव अपने पैमाने और महत्व के कारण एक राष्ट्रीय स्तर की सांस्कृतिक पहल बन चुका है।
भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत, कला, शिल्प, वस्त्र परंपराओं और लोक धरोहरों के लिए विश्वभर में जाना जाता है। ऐसे में Indian Art Festival का उद्देश्य इस सांस्कृतिक विविधता को संरक्षित करने के साथ इसे आम जनता के और अधिक करीब लाना भी है।
इस वर्ष आयोजित यह दूसरा संस्करण कई मायनों में विशेष है, क्योंकि इसमें पश्चिमी भारत के छह प्रमुख राज्य गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव की कलात्मक परंपराओं को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जा रहा है। राष्ट्रपति Droupadi Murmu का यह उद्घाटन संबोधन भारत की सांस्कृतिक आत्मा को संजोने की दिशा में एक प्रेरणादायक संदेश देता है।
भारत की बहुरंगी सांस्कृतिक विरासत का भव्य समागम
Indian Art Festival का मुख्य उद्देश्य भारत की विविध कलात्मक शैलियों, लोक परंपराओं, वस्त्र धरोहर, शिल्पकला और लोक संगीत को एक साझा मंच देना है। इस वर्ष के विशेष फोकस क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, गोवा, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव के वे क्षेत्र हैं जिनकी सांस्कृतिक पहचान सदियों पुरानी परंपराओं और विशिष्ट कलात्मक अभिव्यक्तियों में गहराई से निहित है।
गुजरात
- बंदनी (Bandhani) की प्रसिद्ध वस्त्र कला
- गरबा और डांडिया जैसे लोकनृत्य
- intricate handicrafts और सूक्ष्म नक्काशी
महाराष्ट्र
- वॉरली पेंटिंग
- लावणी और तामाशा जैसी लोककलाएँ
- Paithani saree weaving tradition
राजस्थान
- ब्लॉक प्रिंटिंग, दाबू कला और लहरिया
- कालबेलिया और घूमर नृत्य
- मार्बल वुडवर्क और जरी तकनीक
गोवा
- फ्यूज़न संस्कृति, folk performances
- Coconut craft और Western influenced textile designs
दमन–दीव और दादरा–नगर हवेली
- Tribal crafts, bamboo artistry
- Portuguese influenced architectural & art motifs
इन राज्यों की प्रस्तुतियों ने महोत्सव को समृद्ध बनाने के साथ इसे “एक भारत–श्रेष्ठ भारत” की भावना से भी जोड़ने का काम किया है।
Indian Art Festival में नौ दिनों तक सांस्कृतिक वैभव का उत्सव
Indian Art Festival केवल प्रदर्शनी भर नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव है, जिसमें हस्तशिल्प प्रदर्शनियाँ (Handicraft Exhibitions), Traditional Textile Showcase, Classical और Folk Music Performances, Art Installations और Sculpture Displays, Regional Food Festival, Live Craft Demonstration और Cultural Workshops for Students & Youth शामिल होंगे।
हजारों आगंतुक इन प्रस्तुतियों के माध्यम से भारत के पश्चिमी क्षेत्र की सामुदायिक कला और सांस्कृतिक इतिहास से सीधे रूबरू हो सकेंगे। राष्ट्रपति Droupadi Murmu निलयम का शांत और ऐतिहासिक वातावरण इस महोत्सव की शोभा को और भव्य बनाता है।
राष्ट्रपति Droupadi Murmu का संदेश—“कला हमें जोड़ती है, हमारी आत्मा बनाती है”
उद्घाटन के दौरान Droupadi Murmu ने कहा कि भारत की कला सौंदर्य का माध्यम ही नहीं, बल्कि समाज, इतिहास, परंपरा और सामुदायिक जीवन का दर्पण भी है। उन्होंने अपने विचार को प्रकट करते हुए कु महत्वपूर्ण बातों दोहराया-
- सांस्कृतिक विरासत किसी भी राष्ट्र की पहचान होती है।
- कला सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सौहार्द का स्वरूप है।
- भारत के कारीगरों, कलाकारों और लोकसंगीत परंपराओं को वैश्विक पहचान दिलाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने महोत्सव के आयोजन के लिए तीनों मंत्रालयों और स्थानीय कलाकार समुदाय को सराहा।
सांस्कृतिक आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पहल
यह महोत्सव केवल कलात्मक नहीं, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के कई कारीगर और हस्तशिल्पी आज livelihood के लिए art markets, exhibitions और cultural fairs पर निर्भर हैं। इस आयोजन से artisans को direct market access, traditional crafts को national मंच, local tourism को बढ़ावा और culture based economy को नई मिलेगी।
इसके साथ ही यह festival “Vocal for Local” और “Make in India Handmade in India” जैसे राष्ट्रीय अभियानों को भी मजबूती देता है।
राष्ट्रपति निलयम की भूमिका
सिकंदराबाद स्थित राष्ट्रपति निलयम हमेशा से सांस्कृतिक आयोजनों की एक प्रतीकात्मक जगह रहा है। इस महोत्सव के माध्यम से यह स्थान कला संरक्षण के केंद्र, कलाकार समुदाय के उत्साहवर्धन स्थल और भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) के लिए एक प्रतीक स्थल के रूप में उभरता हुआ दिख रहा है।
निष्कर्ष
Indian Art Festival 2025, अपने दूसरे संस्करण में, राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने की दिशा में एक सशक्त कदम है। राष्ट्रपति Droupadi Murmu द्वारा उद्घाटन इस बात का प्रतीक है कि भारत में कला, संस्कृति और हस्तशिल्प परंपरा भविष्य की आर्थिक और सामाजिक शक्ति है।
गुजरात से गोवा और राजस्थान से दमन–दीव तक, यह महोत्सव भारतीय कला की विविधता और गहराई को उजागर करता है और यही इसे भारत की सांस्कृतिक आत्मा का वास्तविक उत्सव बनाता है।
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