बिहार के समस्तीपुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे प्रशासन और चुनाव आयोग को हिला कर रख दिया है। जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र में सड़क किनारे हजारों VVPAT पर्चियां (Voter Verifiable Paper Audit Trail slips) फेंकी हुई मिलीं। इस घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी प्रशासन को दी।
यह मामला सामने आते ही प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और तुरंत जांच के आदेश दिए गए। फिलहाल इस मामले में लापरवाही बरतने वाले ARO (Assistant Returning Officer) को सस्पेंड कर दिया गया है और इस मामले पर कार्रवाई चल रही है।
क्या है VVPAT और इसका चुनाव में महत्व?
VVPAT का मतलब होता है Voter Verifiable Paper Audit Trail।
यह एक ऐसा सिस्टम है जो EVM (Electronic Voting Machine) के साथ जुड़ा होता है। जब कोई मतदाता वोट डालता है, तो VVPAT मशीन में एक छोटी पर्ची निकलती है, जिस पर संबंधित प्रत्याशी का नाम और पार्टी का चुनाव चिन्ह होता है। यह पर्ची लगभग 7 सेकंड तक दिखती है और फिर अपने आप बॉक्स में गिर जाती है।
VVPAT का उद्देश्य है —
- मतदाता को यह भरोसा देना कि उसका वोट सही प्रत्याशी को गया है।
- चुनाव बाद इसी VVPAT की पर्चियों से EVM के नतीजों का मिलान भी किया जाता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
घटना कहां और कैसे हुई?
यह पूरा मामला KSR कॉलेज, सरायरंजन समस्तीपुर के पास का बताया जा रहा है। शनिवार, 8 नवंबर को कुछ स्थानीय लोगों ने देखा कि सड़क किनारे और कूड़े में बड़ी संख्या में कागज जैसे दस्तावेज पड़े हैं। जब उन्हें पास जाकर देखा गया तो वे VVPAT पर्चियां निकलीं। कुछ ही देर में इसकी सूचना आसपास के लोगों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं तक पहुंच गई। जैसे ही मामला बढ़ा, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और सभी पर्चियों को अपने कब्जे में ले लिया गया।
घटना के तुरंत बाद समस्तीपुर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी। प्रारंभिक जांच में पता चला कि ये पर्चियां मतदान केंद्रों से संबंधित थीं और इनका अनुचित तरीके से निस्तारण किया गया था। प्रशासन ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए संबंधित ARO को तुरंत निलंबित कर दिया है। साथ ही इस मामले में FIR दर्ज की गई है और एक विशेष जांच टीम गठित की गई है जो यह पता लगाएगी कि इतनी बड़ी संख्या में VVPAT पर्चियां सड़क पर कैसे पहुंचीं।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कुछ नेताओं ने आरोप लगाया कि अगर वोटिंग के बाद VVPAT पर्चियां इस तरह खुले में मिल रही हैं, तो चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठना स्वाभाविक है। विपक्ष का कहना है कि यह मामला केवल लापरवाही का नहीं बल्कि लोकतंत्र के प्रति लापरवाह रवैये का उदाहरण है। उन्होंने चुनाव आयोग से इस पर कड़ी कार्रवाई और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
चुनाव आयोग की सफाई
इस घटना के बाद चुनाव आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने कहा कि प्रत्येक मतदान के बाद बची हुई VVPAT पर्चियों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत सुरक्षित रूप से नष्ट किया जाना चाहिए। ऐसा प्रतीत होता है कि नियमों का पालन नहीं किया गया, जिसके चलते यह स्थिति बनी। आयोग ने जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि इस तरह की घटनाओं को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस घटना के बाद आम जनता के बीच भी कई सवाल उठ रहे हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि जब VVPAT जैसी संवेदनशील पर्चियां इस तरह खुले में फेंकी जा सकती हैं, तो चुनाव प्रक्रिया की सुरक्षा और गोपनीयता कितनी मजबूत है? लोगों का मानना है कि घटना की पूरी जांच जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह सिर्फ प्रशासनिक गलती थी या फिर किसी तरह की सिस्टमेटिक लापरवाही।
निष्कर्ष
Samastipur VVPAT Scandal ने एक बार फिर देश में चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता पर बहस छेड़ दी है। भले ही प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अधिकारियों को निलंबित कर दिया हो, लेकिन यह घटना आने वाले चुनावों के लिए एक गंभीर चेतावनी है। लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत जनता का वोट है, और अगर वोट की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं, तो पूरा सिस्टम ही खतरे में पड़ सकता है। अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और जनता का भरोसा कैसे बहाल किया जाता है।
ऐसी जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे, धन्यवाद।
