Saheed Bhagat Singh Jayanti: जानें उनका जीवन, संघर्ष और बलिदान की पूरी कहानी

आज 28 सितंबर 2025 को पूरा देश में आजादी के महानायक Saheed Bhagat Singh Jayanti मनाया जा रहा है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि Bhagat Singh के साहस, देशभक्ति और बलिदान के आदर्श आज भी हमारे राष्ट्र निर्माण के सफर को प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि Bhagat Singh ने जो रास्ता दिखाया, वह सिर्फ अंग्रेजी हुकूमत को हटाने तक सीमित नहीं था बल्कि एक मजबूत, न्यायपूर्ण और समान भारत के निर्माण की ओर भी इशारा करता है। उपराष्ट्रपति का यह संदेश हमें याद दिलाता है कि शहीद-ए-आजम के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के दौर में थे।

Freedom Fighter Bhagat Singh
Freedom Fighter Bhagat Singh

Bhagat Singh के जन्म और बचपन

Bhagat Singh का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनका परिवार देशभक्ति की भावना से उलझा हुआ था। उनके पिता किशन सिंह, चाचा अजीत सिंह और परिवार के अन्य सदस्य स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े थे। यही वजह थी कि बचपन से ही भगत सिंह के मन में अंग्रेजों के प्रति विरोध और देश को आजाद कराने का सपना गहराई से बस गया। जालियांवाला बाग हत्याकांड जैसी घटनाओं ने उनके मन पर गहरा असर डाला और उन्होंने निश्चय कर लिया कि वे भारत की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करेंगे।

शिक्षा और प्रारंभिक संघर्ष

भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज में पढ़ाई की। यह कॉलेज महज शिक्षा का केंद्र नहीं था, बल्कि आजादी के विचारों का गढ़ भी था। यहीं पर भगत सिंह ने क्रांतिकारी गतिविधियों और समाजवादी विचारधारा को गहराई से समझा। युवावस्था में ही उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति और क्रांति की भावना जगाना था। धीरे-धीरे वे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़े, जिसे बाद में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) कहा गया।

क्रांतिकारी कदम और प्रमुख घटनाएं

लाला लाजपत राय की मौत ने भगत सिंह को गहराई से झकझोर दिया। उन्होंने माना कि लाला जी की मृत्यु अंग्रेज पुलिस की लाठीचार्ज का नतीजा थी। इस घटना का बदला लेने के लिए उन्होंने पुलिस अधिकारी जेम्स स्कॉट को निशाना बनाने की योजना बनाई, लेकिन गलती से जॉन सॉन्डर्स की हत्या हो गई। इस घटना ने उन्हें अंग्रेजी हुकूमत के निशाने पर ला दिया।

Freedom Fighter Bhagat Singh
Freedom Fighter Bhagat Singh

इसके बाद Bhagat Singh और उनके साथियों ने ब्रिटिश सरकार के दमनकारी कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दिल्ली की सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकने की योजना बनाई। उनका मकसद किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं था बल्कि सरकार को चेतावनी देना और जनता को जगाना था। उन्होंने बम फेंकने के बाद खुद को गिरफ्तार करवाया ताकि अदालत और मीडिया के माध्यम से वे अपने संदेश को पूरे देश तक पहुँचा सकें।

जेल में संघर्ष और विचार

गिरफ्तारी के बाद Bhagat Singh ने जेल में भूख हड़ताल की। उनका उद्देश्य राजनीतिक कैदियों के साथ होने वाले भेदभाव को खत्म करना था। 63 दिनों तक चली इस हड़ताल ने पूरे देश का ध्यान उनकी ओर खींचा। इस दौरान उन्होंने कई लेख लिखे, जिनमें नास्तिकता, समाजवाद और तर्कवाद पर उनके विचार झलकते हैं। उनका मानना था कि केवल अंग्रेजों को हटाने से आजादी पूरी नहीं होगी, बल्कि असमानता, जातिवाद और शोषण को भी समाप्त करना होगा। उनका प्रसिद्ध नारा “इंकलाब जिंदाबाद” आज भी हर भारतीय के दिल में जोश भर देता है।

Bhagat Singh की अमरता

23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दी गई। फाँसी से पहले भी वे बेखौफ और मुस्कुराते रहे। उन्होंने कहा था, “वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन मेरे विचारों को नहीं मार सकते।” उनकी कुर्बानी ने देश के युवाओं में साहस और देशभक्ति की आग भर दी। Bhagat Singh सिर्फ एक क्रांतिकारी नहीं बल्कि विचारक और दूरदर्शी नेता भी थे, जिन्होंने अपने जीवन से यह संदेश दिया कि सच्ची आजादी सामाजिक और आर्थिक न्याय के बिना अधूरी है।

उपराष्ट्रपति का श्रद्धांजलि संदेश

शहीद Bhagat Singh की जयंती पर उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने अपने संदेश में कहा कि भगत सिंह के साहस, देशभक्ति और बलिदान की मिसाल आज भी हर भारतीय को प्रेरित करती है। उन्होंने कहा कि हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और एक मजबूत, न्यायपूर्ण और समानता आधारित राष्ट्र के निर्माण में योगदान देना चाहिए। उनका यह संदेश युवाओं को यह सोचने पर मजबूर करता है कि आजादी सिर्फ एक ऐतिहासिक उपलब्धि नहीं, बल्कि लाखों लोगों की कुर्बानी से मिली है।

निष्कर्ष

शहीद Bhagat Singh का जीवन साहस, विचार और बलिदान की अनोखी मिसाल है। उनका सपना सिर्फ अंग्रेजों से आजादी पाना नहीं था, बल्कि एक ऐसे भारत का निर्माण करना था जहाँ हर नागरिक को समान आधिकार मिले और अन्याय का अंत हो और अपनी देश की रक्षा करने हर भारतीय का कर्तव्य हैं।

ऐसी जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे, धन्यवाद।


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