हाल ही में नेपाल में कुछ Social Media Ban कर दिया गया था। इसके विरोध में लाखों युवा सड़क पर उतर चुके हैं और सारे एप्लीकेशन पर से बैन हटाने की मांग कर रहे हैं। लोग Facebook, Instagram, WhatsApp, X (Twitter) और YouTube जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर रोक के खिलाफ सड़कों पर नारे लगा रहे हैं। कुछ दिनों पहले 4 सितंबर 2025 को लागू हुए इस बैन ने देशभर में आक्रोश को जन्म दे दिया है। ये वही प्लेटफ़ॉर्म हैं जिसका इस्तेमाल युवा अपनी आवाज़ उठाने, लोगों से विचार साझा करने और नए अवसरों से जुड़ने के लिए किया करते हैं।

बैन की पृष्ठभूमि
नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को उन सभी social media platforms पर बैन लगा कर दिया था जो की नेपाल सरकार के साथ पंजीकृत (registered) नहीं किए गए थे। इस प्रतिबंध का सीधा असर मुख्यतः सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाले बड़े प्लेटफ़ॉर्म्स पर पड़ा, जिसके अंतर्गत Facebook, Instagram, WhatsApp, X (Twitter), YouTube आदि शामिल हैं। सरकार का ऐसा दावा है कि यह कदम देश के अंदर हो रहे डिजिटल गतिविधियों को नियंत्रण में लाने और समाज में व्याप्त फेक न्यूज़ जैसी समस्याओं से निपटने के लिए उठाया गया है।
युवाओं का गुस्सा और आंदोलन
हालांकि, यह फैसला किसी भी देश के युवाओं को बिल्कुल रास नहीं आएगा। नेपाल तथ अन्य सभी देशों में बड़ी संख्या में युवा वर्ग social media economy से जुड़ा हुआ है और उस पर निर्भर है। अत्यधिक संख्या में लोग content creation, online business और freelancing से पैसा कमाई करते हैं। ऐसे में अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर बैन लगाना उनके करियर और रोज़गार पर सीधा असर डाल रहा है।

काठमांडू समेत कई बड़े शहरों में युवाओं ने भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पोस्टर, नारे और रैलियों के जरिए उन्होंने सरकार से मांग की है कि यह बैन तुरंत हटाया जाए जिससे लोगों की जिंदगी सामान्य हो सके।
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल
Nepal जैसे लोकतांत्रिक देश में Social Media Ban लगाने से freedom of expression को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई है। युवाओं का ऐसा कहना है कि सरकार द्वारा इस बैन से उनकी आवाज़ को दबाने और अभिव्यक्ति की आज़ादी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि सरकार को सोशल मीडिया पर नियंत्रण करने के बजाय digital literacy और cyber security पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
नेपाल सरकार के द्वारा इस कठोर कदम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चाएं तेज हो चुकी है। South Asia में सोशल मीडिया मनोरंजन का साधन तो है ही, साथ में सोशल मीडिया यहां राजनीतिक संवाद और लोकतांत्रिक भागीदारी का भी अहम हिस्सा है। विशेषज्ञों का यह मानना है कि अगर यह बैन लंबे समय तक जारी रहता है, तो इसका असर नेपाल की युवा पीढ़ी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी होगा।
निष्कर्ष
आज नेपाल में Social Media Ban के खिलाफ उठ रही आवाज़ों से यह सिद्ध होता है कि इस डिजिटल युग में इंटरनेट और सोशल मीडिया को संचार का साधन ही नहीं, बल्कि यह आज की पीढ़ी के लिए जीवनरेखा बन चुकी है। सरकार को युवाओं की चिंताओं को गंभीरता से सुनना की आवश्यकता है और एक ऐसा निर्णय लिया जाए जिससे national security और freedom of expression दोनों के बीच संतुलन सदैव कायम रहे।
अगर इस विरोध को नज़रअंदाज़ किया जाता, तो यह आंदोलन भविष्य में आंतरिक युद्ध तथा और भी बड़े राजनीतिक संकट को जन्म दे सकती है।
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Nepal Government ने Facebook और YouTube समेत 26 Social Media Apps पर लगाया बैन।
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