Site icon Satyavarta

Sonbhadra Mining Accident: यूपी की Billi Markundi खदान में बड़ा हादसा, कई मजदूरों के फंसे होने की आशंका

Uttar Pradesh के Sonbhadra जिले में स्थित Billi Markundi Mining Area देश के महत्वपूर्ण खनन क्षेत्रों में से एक माना जाता है, जहाँ रोजाना सैकड़ों मजदूर पत्थर निकालने के काम में लगे रहते हैं। शनिवार देर शाम इसी इलाके में एक ऐसा खदान हादसा हुआ जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। बताया जा रहा है कि मजदूर सामान्य दिनों की तरह अपने शिफ्ट के दौरान ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग का कार्य कर रहे थे, तभी अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा धंस गया और देखते ही देखते खदान में भारी मलबा भर गया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, हादसा इतना तेज और अचानक हुआ कि मजदूरों को संभलने का मौका तक नहीं मिला।

Sonbhadra Billi Markundi खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत

धंसने की आवाज कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दी और उठने वाली धूल की मोटी परत ने पूरे क्षेत्र को कुछ समय के लिए ढक लिया। शुरुआती क्षणों में ही यह स्पष्ट हो गया था कि स्थिति बेहद गंभीर है और अंदर कई मजदूर फँसे हो सकते हैं। प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुँचकर इलाके को सील किया तथा रेस्क्यू टीमों को बुलाने की प्रक्रिया शुरू की। खदान के बाहर मजदूरों के परिवारजन और ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई, जिनकी आँखों में डर और उम्मीद एक साथ साफ दिखाई दे रही थी।

ड्रिलिंग के दौरान हुआ हादसा

घटना शनिवार शाम करीब उस समय हुई जब Billi Markundi खदान में ड्रिलिंग मशीनें चल रही थीं और मजदूर नियमित रूप से पत्थर तोड़ने के काम में लगे हुए थे। चश्मदीद मजदूरों ने बताया कि ड्रिलिंग के दौरान अचानक जमीन ने कंपन और हलचल शुरू कर दी थी, लेकिन किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि अगले ही पल पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा भरभराकर ढह जाएगा।

कुछ मजदूर तुरंत पीछे हटने में सफल हो गए, लेकिन वे मजदूर जो नीचे की ओर काम कर रहे थे, मलबे की चपेट में आ गए। इतनी बड़ी मात्रा में गिरा हुआ मलबा और चट्टानें रास्ते बंद कर देने के लिए काफी थीं। कई मजदूरों ने बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन धूल और अंधेरे ने सब कुछ मुश्किल कर दिया। कुछ मजदूर जिनकी जगह ऊँचाई पर थी, उन्होंने अपने साथियों की चीखें सुनने की बात बताई है। पत्थर गिरने की आवाज, मशीनों की आवाज और मजदूरों की पुकार इन सबने मिलकर एक भयावह दृश्य बना दिया, जिसे वहाँ मौजूद लोग कभी नहीं भूल पाएँगे।

Sonbhadra Billi Markundi खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत

घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने बिना देरी किए NDRF और SDRF की टीमों को मौके पर बुलाया। बताया जा रहा है कि खदान की संरचना और रास्तों को समझने में टीमों को काफी समय लगा, जिसके कारण रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग 7 घंटे बाद आधिकारिक रूप से शुरू हो पाया। रेस्क्यू टीमों ने सुरक्षित मार्ग बनाने के लिए सबसे पहले आस-पास के ढीले पत्थरों को हटाया, फिर धीरे-धीरे खदान के अंदर गहराई की ओर बढ़ने की कोशिश शुरू की।

अब तक की जानकारी के अनुसार टीमों ने एक मजदूर का शव बाहर निकाला है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अंदर की स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। टीम लगातार बचाव के लिए रास्ता खोलने, अंदर से किसी आवाज या हलचल को पहचानने और फँसे मजदूरों के संभावित स्थानों का पता लगाने में जुटी हुई है। राहत कार्य में लगे अधिकारियों ने बताया कि खदान की बनावट जटिल है, इसलिए एक-एक कदम बहुत सोच-समझकर उठाया जा रहा है। किसी भी जल्दबाजी से खदान का और हिस्सा धंस सकता है, जिससे अंदर फँसे मजदूरों की स्थिति और खराब हो सकती है।

रेस्क्यू टीम को आ रही चुनौतियाँ

Billi Markundi खदान की स्थिति इतनी अस्थिर है कि NDRF और SDRF की टीमों के लिए काम करना बेहद जोखिम भरा हो गया है। कई जगहों पर पत्थर लगातार नीचे सरक रहे हैं, जिससे खदान की छत और दीवारें सुरक्षित नहीं मानी जा सकतीं। बचाव कर्मियों को हेलमेट, जैकेट और अन्य सुरक्षा उपकरणों के साथ सावधानी से अंदर उतरना पड़ रहा है। टीमों ने बताया कि बड़े पत्थरों को हटाने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल जरूरी है, लेकिन खदान के संकरे और खतरनाक रास्तों के कारण मशीनरी गहराई तक नहीं पहुँच पा रही है। यही वजह है कि कई हिस्सों में टीमों को मैनुअल तरीके से खुदाई और क्लियरेंस करना पड़ रहा है।

Sonbhadra Billi Markundi खदान में रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत

इन चुनौतियों के बावजूद रेस्क्यू कर्मी रात-दिन एक करके अंदर फँसे मजदूरों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। मौके पर मौजूद अधिकारी लगातार मिट्टी और चट्टानों की मजबूती की जाँच करवाते रहे ताकि कोई अचानक धंसाव न हो।

परिजनों और स्थानीय लोगों का दर्द

हादसे के बाद खदान के बाहर सबसे ज्यादा दर्दनाक दृश्य मजदूरों के परिवारों का था। कई महिलाएँ रो-रोकर बेहोश हो गईं, वृद्ध माता-पिता अपने बेटों के सुरक्षित बाहर आने की उम्मीद में पूरी रात वहीं बैठे रहे।
परिजनों का कहना है कि मजदूरों ने कई बार खदान में सुरक्षा की कमी और कमजोर चट्टानों की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन और ठेकेदारों ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। ग्रामीणों का आरोप है कि खदान में उत्पादन बढ़ाने के लिए सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है, जो आज इस बड़े हादसे का कारण बन सकती है।

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने भी घटना के बाद सरकार से मजदूरों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मजदूर रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर खदान में काम करते हैं, लेकिन बदले में उन्हें उचित सुरक्षा तक नहीं मिलती।

तकनीक के सहारे फँसे मजदूरों की तलाश

रेस्क्यू टीम ने मजदूरों का पता लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया है। Dog Squad, साउंड डिटेक्टर, थर्मल सेंसर, और अंडरग्राउंड कैमरा सिस्टम के माध्यम से यह कोशिश की जा रही है कि अंदर से किसी भी तरह की हलचल या तापमान में बदलाव का पता लगाया जा सके।

अधिकारियों का कहना है कि इस इलाके की चट्टानों में कई संकरी दरारें और पथरीले मार्ग हैं, जहाँ मजदूर फँसे हो सकते हैं, इसलिए इन उपकरणों का इस्तेमाल बेहद महत्वपूर्ण है। टीम की प्राथमिकता फँसे हुए मजदूरों का सटीक स्थान ढूँढना और वहाँ तक सुरक्षित पहुंच बनाना है। उपकरणों से मिली जानकारी के आधार पर रेस्क्यू पथ तैयार किया जा रहा है ताकि कोई बड़ी दुर्घटना न हो।

अस्पतालों में अलर्ट, सुरक्षा के इंतजाम

जिला प्रशासन ने Sonbhadra के अस्पतालों में इमरजेंसी अलर्ट जारी कर दिया है। डॉक्टरों, नर्सों और मेडिकल स्टाफ को 24 घंटे तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। एंबुलेंस को खदान के पास तैनात कर दिया गया है ताकि जैसे ही कोई मजदूर बाहर निकले, उसे तुरंत चिकित्सकीय सहायता मिल सके।

खदान के बाहर हजारों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और PAC बल तैनात किए गए हैं। प्रशासन ने इलाके में बैरिकेडिंग कर दी है ताकि केवल रेस्क्यू से संबंधित लोग ही भीतर जा सकें। मीडिया को भी निर्धारित क्षेत्र से आगे जाने पर रोक लगा दी गई है ताकि बचाव अभियान में कोई बाधा न आए।

खनन क्षेत्र की सुरक्षा पर उठे सवाल

Sonbhadra जैसे खनन क्षेत्रों में मजदूरों की सुरक्षा हमेशा से विवाद का मुद्दा रही है। कई बार मजदूरों ने बताया कि उन्हें सुरक्षा किट नहीं मिलते, और खदान की संरचना का नियमित निरीक्षण भी नहीं होता। लोगों का कहना है कि खदानों में दुर्घटनाएँ अचानक नहीं होतीं, बल्कि कमजोर चट्टानें, अत्यधिक ड्रिलिंग, और सुरक्षा मानकों की अनदेखी दुर्घटनाओं को जन्म देती हैं। यह हादसा भी इसी का परिणाम माना जा रहा है।

सुरक्षा मानकों के अनुसार खदानों की नियमित जाँच, निगरानी और सतह की मजबूती का आकलन जरूरी होता है। लेकिन कई ठेकेदार उत्पादन बढ़ाने के दबाव में इन नियमों को नजर अंदाज कर देते हैं, जिससे मजदूरों की जान दांव पर लग जाती है।

जाँच और कार्रवाई की मांग

घटना के बाद ग्रामीणों, मजदूर संगठनों और स्थानीय राजनीतिक नेताओं ने इसकी उच्चस्तरीय जाँच की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक दोषियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक मजदूरों की सुरक्षा के हालात नहीं सुधरेंगे।

प्रशासन की ओर से भी कहा गया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होते ही हादसे की विस्तृत जांच कराई जाएगी और दोष साबित होने पर कठोर कदम उठाए जाएंगे। साथ ही खदान क्षेत्र में सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की दिशा में भी जल्द बदलाव किए जाएंगे।

रातभर चलने के बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। टीमों ने बताया कि यह ऑपरेशन लंबा चल सकता है, क्योंकि खदान की संरचना जटिल है और हर कदम सावधानी से उठाना पड़ रहा है। मौके पर अधिकारियों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है चट्टानों की मजबूती, मलबे की स्थिति, और मशीनों की आवाजाही सब कुछ नियंत्रित तरीके से किया जा रहा है। पूरा प्रदेश इस भयावह हादसे से स्तब्ध है लेकिन उम्मीद अभी भी बनी हुई है कि मेहनतकश मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा।

निष्कर्ष

Sonbhadra का यह Billi Markundi खदान हादसा एक बड़ी चेतावनी है कि खनन क्षेत्रों में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। मजदूर हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक खनिज निकालते हैं, लेकिन बदले में उन्हें पर्याप्त सुरक्षा नहीं मिलती।

यह घटना बताती है कि कमजोर पहाड़ी संरचना, अत्यधिक ड्रिलिंग और सुरक्षा उपायों की अनदेखी किस तरह विनाशकारी साबित हो सकती है। NDRF और SDRF की टीमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं, लेकिन जब तक खदानों में काम करने की प्रणाली और सुरक्षा प्रोटोकॉल में बड़े बदलाव नहीं किए जाते, तब तक ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका बनी रहेगी। पूरे देश की निगाहें इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर हैं और हर कोई यही प्रार्थना कर रहा है कि फंसे हुए सभी मजदूर सुरक्षित अपने परिवारों के पास लौट आएँ।

ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे, धन्यवाद।

Exit mobile version