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उदयपुर में शुरू हुआ तीन-दिवसीय National Workshop: कृषि एवं पशुपालन उद्यमिता से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई गति

राजस्थान के उदयपुर में बीते दिनों में तीन-दिन का National Workshop आरंभ किया गया। इस National Workshop का आयोजन Ministry of Rural Development (MoRD), भारत सरकार एवं राज्य-स्तरीय Rajasthan Grameen Aajeevika Vikas Parishad (SRLM) द्वारा मिलकर किया गया। इस Workshop का उद्देश्य कृषि के साथ पशुपालन आधारित उद्यमिता (agriculture & livestock entrepreneurship) तथा डिजिटल-सशक्तिकरण (digital empowerment) के माध्यम से ग्रामीण आजीविका (rural livelihoods) को सशक्त बनाना है।

उदयपुर में शुरू हुआ तीन-दिवसीय राष्ट्रीय National Workshop

कृषि पशुपालन उद्यमिता पर केंद्रित नवाचार एवं भागीदारी

इस कार्यशाला में देश भर से आए कृषि entrepreneurs, पशुपालन विशेषज्ञ, महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) सदस्य एवं विकास प्रैक्टिशनर्स ने हिस्सा लिया है। इस National Workshop आयोजन के कुछ प्रमुख बिन्दु, जिसमें-

उदयपुर में आयोजित इस वर्क शॉप का उद्देश्य सिर्फ ज्ञान विनिमय (knowledge sharing) ही नहीं है, बल्कि कृषि पशु आधारित उद्यमिता को व्यवहार स्तर पर ले भी जाना है। इस प्रकार, कार्यक्रम ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में एक‌ नया मापदंड को प्रस्तुत किया है।

National Workshop की विकास क्षेत्रीय दृष्टि एवं राज्य टीमों की भूमिका

मॉडर्न ग्रामीण विकास की दिशा में ये पहल अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि राजस्थान में भौगोलिक रूप से विभिन्न प्रदेशों में किसान व पशुपालक अलग-अलग चुनौतियों का सामना करते आ रहे हैं। इस National Workshop में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों ने बताया कि किसानों में उत्सुकता के साथ नई टेक्निक्स जैसे ड्रिप इर्रिगेशन, ऑर्गेनिक फार्मिंग तथा innovative cropping models में रूचि बढ़ रही है।

उदयपुर में शुरू हुआ तीन-दिवसीय राष्ट्रीय National Workshop

राजस्थान में कृषि एवं पशुपालन की इस साझेदारी से यह भी उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार एवं SRLM के माध्यम से Farmer Producer Organisations, पशु उत्पादन समूह और महिला स्वयं सहायता समूह को ज्यादा सशक्त बनाया जाए। इस National Workshop में इन संगठनों को प्लेटफॉर्म देने का भी प्रयास किया गया है जिससे उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति अधिक बेहतर हो सके।

डिजिटल सशक्तिकरण और उद्यमिता के लिए मंच

डिजिटल उपकरणों का समुचित उपयोग कार्यशाला का एक केंद्रबिंदु था। जैसे Smart Agriculture Apps, Online Marketplace, पशुपालन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म और e-learning modules। इस पहल का मकसद ग्रामीण उद्यमियों को सिर्फ तकनीक तक नहीं बल्कि डिजिटल माध्यम से मार्केट में सम्मिलित करना भी है।

वहीं, ग्रामीण आजीविका मॉडल में कृषि पशुपालन के संयोग (synergy) पर जोर दिया गया है ताकि किसान फसल उत्पादन तक सीमित न होकर अतिरिक्त आजीविका स्रोत जैसे पशु उत्पादन, पशु पालन, पूरक व्यवसाय भी उत्पन्न कर सके। इस तरह की रणनीति ग्रामीण आर्थिक धारणाओं को मजबूत बनाती है और लोगों के बीच आर्थिक जोखिम को कम करती है।

सामाजिक वित्तीय समावेशन और महिला शक्ति की भूमिका

इस National Workshop में यह स्पष्ट हुआ कि आजीविका विस्तार के लिए महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) और किसान उत्पादक संगठन (FPOs) की भागीदारी बहुत आवश्यक है। महिला सदस्य अपनी उद्यम क्रियाओं से परिवार धारणाओं को बेहतर बना रही हैं और सामाजिक वित्तीय समावेशन में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

इस National Workshop में महिलाओं ने फॉरम के माध्यम से इस बात पर चर्चा की है कि कैसे व्यवसाय मॉडल, मार्केट कनेक्ट एवं वित्त उपलब्धता (financial access) को बेहतर बनाया जा सकता है। इस प्रकार, ग्रामीण आजीविका मॉडल अब सिर्फ उत्पादन चक्र तक सीमित न रहकर सामाजिक सशक्तीकरण एवं आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में अग्रसर हो रहा है।

उदयपुर में शुरू हुआ तीन-दिवसीय राष्ट्रीय National Workshop

निष्कर्ष

उदयपुर में आयोजित यह तीन दिवसीय यह National Workshop एक स्पष्ट संकेत है कि कृषि पशुपालन आधारित उद्यमिता, सामाजिक भागीदारी और डिजिटल सशक्तिकरण की त्रिवेणी ग्रामीण आजीविका के भविष्य में अहम भूमिका निभाएगी। जब मंत्रालय, राज्य संस्था और समुदाय मिलकर इन लक्ष्यों पर काम करेंगे, तभी Stronger Rural Economy का लक्ष्य साकार हो सकेगा।

यह पहल सिर्फ आज का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह भविष्य के आने वाले वर्षों में ग्रामीण भारत को अवश्य ही स्थायी विकास, आत्मनिर्भरता और नवाचार की राह पर ले जाने वाली दिशा निर्देशिका बन सकती है।

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