उदात्त आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती पर राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने संसद भवन में अर्पित की श्रद्धांजलि—‘Janjatiya Gaurav Divas’ का समापन

नई दिल्ली के संसद भवन में आज एक भावपूर्ण अवसर पर आदिवासी विंग के महानायक भगवन Birsa Munda की 150वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने पुष्पांजलि अर्पित की। 15 नवंबर को पूरे देश में Janjatiya Gaurav Divas के रूप में मनाया जाता है, जिसे भारत सरकार ने आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में घोषित किया था। इस अवसर ने न सिर्फ मुंडा जी के आदिवासी अधिकारों और आज़ादी की लड़ाई को राष्ट्रीय विमर्श में पुनर्स्थापित किया, बल्कि आदिवासी युवाओं तथा सामाजिक समानता की दिशा में भी एक नया संदेश प्रदान करने का काम किया।

आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती
आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती

Birsa Munda की विरासत और आज का संदर्भ

भविष्य दृष्टि वाले आदिवासी नेता Birsa Munda ने 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश शासन तथा जमीन वन अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ विद्रोह छेड़ा, जिसे The Great Tumult कहा जाता है। उनके संघर्ष ने आदिवासी भूमि, संस्कृति और पहचान के लिए आवाज़ उठाई थी। वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने 15 नवंबर को Janjatiya Gaurav Divas घोषित किया जिससे आदिवासी समाज की भूमिका को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त हो सके।

उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि “उनकी आकांक्षाएँ स्वतंत्रता, न्याय, पहचान और गरिमा आज के युवा के लिए भी प्रेरणा का स्रोत हैं।” संसद भवन में इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने यह दिखाया कि आदिवासी नेतृत्व अब सिर्फ क्षेत्र गत चुनावी विमर्श तक सीमित न होकर राष्ट्रीय गरिमा कथाओं का हिस्सा बन चुका है।

Janjatiya Gaurav Varsh और समेकित आदिवासी जागरूकता अभियान

भारत सरकार द्वारा Janjatiya Gaurav Varsh कार्यक्रम 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक चलाया गया, जिसमें देशभर में आदिवासी संस्कृति, शिक्षा जागरूकता और विकास पहल को शामिल किया गया। उदाहरणस्वरूप, ओड़िशा में आदिवासी छात्रों के लिए चित्र प्रदर्शन, पारंपरिक हस्तशिल्प का प्रदर्शन तथा स्कूल और कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।

आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती
आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती

इस प्रकार, आज राष्ट्रपति द्वारा पारित किए गए श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने एक वर्ष लंबी अभियान को समुचित सम्मान और सार्वजनिक दृष्टि प्रदान की है। यह एक संस्कृतिक उत्सव के अलावा सामाजिक वित्तीय समावेशन (social financial inclusion) व सार्वभौम (universal) नागरिक समानता की दिशा में मिला अस्वीकृति रहित संकेत भी है।

आज की मानव सम्मान आधारित दिशा और संरचना

राष्ट्रपति मुर्मु ने अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासी समाज ने भारत की आज़ादी संघर्ष, प्राकृतिक संवर्धन (eco conservation) और सामाजिक सततता (social sustainability) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह भावना व्यक्त की कि आदिवासी मूल्यों ज्यादा गहरी संबंधों को अब न सिर्फ सम्मान मिलना चाहिए बल्कि उन्हें नीति निर्माण प्रक्रिया में भी प्रमुखता दी जानी चाहिए।

समारोह में यह ध्यान देने योग्य था कि अधिकारियों और सत्ता समूह ने आदिवासी समुदाय के योगदान को प्रतीक होकर नहीं बल्कि नीतिगत दृष्टि से देखने का विकल्प अपनाया है। यह दृष्टिकोण आज के भारत में आदिवासी विकास (tribal development), पहचान विकास (identity development) और क्षेत्र विकास (regional development) को एकीकृत रूप से देखने का आग्रह करता है।

भारतीय लोकतंत्र में आदिवासी स्थान और आगे का मार्ग

जब आज 150वीं जयंती पर संसद भवन में तरुण आदिवासी नेताओं, छात्र संघों और सामाजिक संगठनों ने अपना स्थान पाया है, तब यह संकेत मिला कि भारत का लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण (decentralised democracy) अब सिर्फ बहुसंख्यक वाद के परिधि में नहीं बल्कि आदिवासी सशक्तिकरण (tribal empowerment) के एजेंडा के केंद्र में आ गया है।

एक समावेशी भारत की दिशा में यह महत्वपूर्ण मोड़ है जहाँ आदिवासी समुदाय में सेवा प्राप्ति (service outreach), शिक्षा समानता (education equity) और पहचान संकल्प (identity resolve) को प्राथमिकता दी गई है। अब राष्ट्रीय वित्तीय योजनाएँ (national welfare schemes), भू वन अधिकार (land forest rights), और स्थानीय सहायता पथ (grass roots support) आदिवासी परिप्रेक्ष्य से अधिक गहन विचार के विषय बने हैं।

निष्कर्ष

भगवन Birsa Munda की 150वीं जन्म जयन्ती पर राष्ट्रपति द्वारा संसद भवन में अर्पित किये गए पुष्प श्रद्धांजलि समारोह ने एक व्यक्ति सम्मान ही नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी इतिहास और प्रगति का प्रतीक प्रस्तुत किया। जब Janjatiya Gaurav Divas तथा Janjatiya Gaurav Varsh की सक्रियता देश भर में महसूस की जा रही है, तब यह स्पष्ट हुआ कि भारत के विकास रूपरेखा में आदिवासी गौरव (tribal pride) अब अलग साफ स्थान बना चुका है।

यह समारोह हमें याद दिलाता है कि एक Nation of Diversity को तभी सशक्त कहा जा सकता है जब उसकी आखिरी पीढ़ी तक ‘धरती अब्बा’ की आवाज सम्मान सुनाई दे। भगवन बिरसा मुंडा की आत्मा आज भी उस आदिवासी युग में जीवंत है जहाँ पहचान सेवा विकास का त्रिकोण एक अन्तर्निहित लक्ष्य बन गया है।

ऐसे ही और खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद।


Discover more from Satyavarta

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

2 thoughts on “उदात्त आदिवासी नेता Bhagwan Birsa Munda की 150वीं जयंती पर राष्ट्रपति Droupadi Murmu ने संसद भवन में अर्पित की श्रद्धांजलि—‘Janjatiya Gaurav Divas’ का समापन”

Leave a Reply