भूटान के प्रधानमंत्री Tshering Tobgay इन दिनों भारत के दौरे पर हैं, जहाँ उनकी यात्रा का मकसद केवल कूटनीति नहीं है, बल्कि spiritual connect पर भी है। गया और राजगीर में धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद वे आज अयोध्या पहुंच कर राम मंदिर में दर्शन करेंगे और फिर दोपहर के बाद दिल्ली के लिए रवाना होंगे। यह शेड्यूल भारत सरकार की MEA Media Advisory में स्पष्ट रूप से दिया गया है।
क्यों आए हैं भारत:
इस दौरा का उद्देश्य राजगीर में बने रॉयल भूटान मंदिर का उद्घाटन समारोह और बौद्ध धरोहरों से जुड़ाव को प्रदर्शित करना है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री Tobgay ने महाबोधि मंदिर, बोधगया में प्रार्थना और ध्यान किया। यही वह स्थल है जहाँ भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था और जिसे UNESCO World Heritage Site का दर्जा प्राप्त है। भूटान जैसे देश के लिए यह आध्यात्मिक कड़ी बेहद अहम मानी जाती है।
जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री Tobgay आज सुबह गया से अयोध्या के लिए रवाना हुए और अयोध्या एयरपोर्ट पर रेड कार्पेट पर स्वागत किया गया। आगमन लगभग 9:30 AM और प्रस्थान करीब 1:30 PM है यानी शहर में लगभग 4 घंटे का कार्यक्रम, जिसमें श्री राम मंदिर में पूजा-अर्चना, संभावित रूप से हनुमानगढ़ी और अन्य प्रमुख मंदिरों का दर्शन, तथा एक विशेष भोजन शामिल है। सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर कड़ी ध्यान रखी गई है।
अयोध्या के बाद प्रधानमंत्री Tobgay दिल्ली के लिए उड़ान भरेगा, जहाँ शाम को विदेश मंत्री Dr. S. Jaishankar उनसे मुलाक़ात करेंगे। यह क्रम दिखाता है कि यात्रा का ढांचा धार्मिक-सांस्कृतिक जुड़ाव और उच्च स्तरीय कूटनीति दोनों को साथ लेकर चलता है।
“Spiritual Diplomacy” का संदेश:
इस दौरे का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यह है कि भारत-भूटान संबंध केवल राजनीतिक, हाइड्रो-पावर या ट्रेड सहयोग तक सीमित नहीं, बल्कि आध्यात्मिक विरासत पर भी समान रूप से टिके हैं। महाबोधि मंदिर में ध्यान से लेकर अयोध्या में श्री राम के दर्शन तक, PM Tobgay का यात्रा कार्यक्रम एक व्यापक Spiritual Diplomacy का केस स्टडी है जो एशिया की साझा परंपराओं, धार्मिक पर्यटन को मजबूती देता है।
बिहार चरण और पर्यटन अर्थव्यवस्था
राजगीर में रॉयल भूटान मंदिर के अभिषेक और बोधगया दर्शन ने बिहार की वैश्विक विरासत ब्रांडिंग को नई दिशा दी है। उच्च-स्तरीय अतिथि की मौजूदगी से स्थानीय पर्यटन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है होटल, ट्रैवल, हैंडीक्राफ्ट और गाइड सेवाओं तक में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। यह पहलू मीडिया रिपोर्ट्स और आधिकारिक ब्रीफिंग्स से भी स्पष्ट होता है, जहाँ बोधगया और राजगीर को भारत-भूटान सांस्कृतिक सेतु के रूप में प्रोजेक्ट किया गया है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री Tshering Tobgay की यह यात्रा “Faith-driven diplomacy meets high-level statecraft” का उदाहरण है महाबोधि मंदिर (बोधगया) से श्री राम जन्मभूमि(अयोध्या) तक। आधिकारिक शेड्यूल के मुताबिक आज Ayodhya में लगभग 3–4 घंटे के कार्यक्रम के बाद दिल्ली में कूटनीतिक मुलाक़ातें होंगी, जो यह संदेश दोहराती हैं कि भारत और भूटान का संबंध की असली ताक़त आध्यात्मिक विरासत और आधुनिक सहयोग, दोनों का संतुलित संगम है।
ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे साथ वीडियो बहुत। धन्यवाद!
