उत्तर त्रिपुरा के पनिसागर स्थित Regional College of Physical Education, Panisagar में 3 नवंबर 2025 से सात दिवसीय ट्रेनिंग कैंप “Yuva Aapda Mitra Scheme” का आयोजन शुरू हुआ है, जिसमें कुल 138 वॉलंटियर शामिल हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को disaster preparedness, community resilience और response की दिशा में सक्षम बनाना है। यह YAMS (Yuva Aapda Mitra Scheme) राज्य की Tripura State Disaster Management Authority द्वारा संचालित किया जा रहा है।

युवा भागीदारी और प्रशिक्षण का महत्व
इस योजना का मूल उद्देश्य है कि अपने-अपने समुदायों में disaster management की नींव तैयार हो सके। इस ट्रेनिंग में शामिल किए गए वॉलंटियरों में National Service Scheme (NSS), MYB और Bharat Scouts & Guides (BSG) जैसे विभिन्न युवा संघ को शामिल किया गया है, जिससे सामाजिक ढांचे को विविधता और शक्ति दोनों प्रदान की जा रही है।
प्रशिक्षण के दौरान वॉलंटियरों को hazard identification, first aid, relief distribution, community coordination तथा rehabilitation की मूलभूत क्षमताएँ सिखाई जाएँगी। इस तरह युवाओं को सिर्फ सैद्धांतिक rather than व्यावहारिक क्षमता भी दी जाएगी।

स्थानीय संदर्भ में रणनीति और क्रियान्वयन
उत्तर त्रिपुरा का क्षेत्र भूकम्प, बाढ़ और weather extremes के प्रति काफी संवेदनशील रहा है। ऐसे में Yuva Aapda Mitra Scheme के तहत यह कैंप समय पर आधारित और संदर्भ अनुकूल माना जा सकता है। ट्रेनिंग स्थल के रूप में Regional College of Physical Education को चुनना, इस दृष्टि से महत्वपूर्ण भी रहा क्योंकि वहाँ से स्थानीय युवा सहजता से जुड़ सकें एवं अपने हृदय में समुदाय सहायता की भावना पाल सकें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का सात दिवसीय समय फ्रेम यह दर्शाता है कि इसे सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं माना गया है, बल्कि इसे एक समेकित और नियमित प्रक्रिया के रूप में विकसित किया गया है। इस दौरान वॉलंटियरों को ग्रुप वर्क, simulation drills तथा community based workshops के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे उनके द्वारा स्थानीय वास्तविकताओं से ताल मेल बैठाया जा सके।
Yuva Aapda Mitra Scheme की सतत प्रभाव और भविष्य-दृष्टि
यात्रा ओरिएंटेड इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का असर सिर्फ इस सप्ताह तक सीमित नहीं रहेगा। Yuva Aapda Mitra Scheme का उद्देश्य है कि प्रशिक्षित युवा अपने अपने मोहल्लों, विद्यालयों तथा गांवों समुदायों में first responders के रूप में सक्रिय हों। इससे आपदा-प्रबंधन की समय-संवेदनशीलता तेज होगी और स्थानिक समुदायों में self-reliance की बढ़ोतरी होगी।

साथ ही राज्य स्तर पर यह मॉडल एक replicable framework बन सकता है, जहाँ प्रशिक्षित वॉलंटियर नेटवर्क, emergency kit और स्थानीय जागरूकता प्रोग्राम लगातार चलते रहेंगे। इस तरह, युवाओं की ऊर्जा और समर्पण का केंद्र को आपदा प्रस्तुति एवं क्षमता निर्माण बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष
इस सात दिवसीय ट्रेनिंग कैंप के साथ Tripura में Yuva Aapda Mitra Scheme ने एक स्पष्ट संकेत दिया है कि आपदा प्रबंधन सिर्फ अधिकारियों के कार्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है, इसमें युवाओं और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के साथ इसे और बेहतर बनाया जा सकता है। जब युवा शक्ति को सही दिशा निर्देश और संसाधन मिले, तो resilience व्यवहार प्रेरित परिणाम बन जाती है।
इस तरह, उत्तर त्रिपुरा में चल रही यह पहल एक छोटे पायदान पर शुरू होकर भविष्य में पूरे भारत वर्ष में मॉडल प्रोग्राम के रूप में सामने आ सकती है, जहाँ prepared community और trained youth राष्ट्रीय national disaster resilience की मजबूत आधारशिला बनेंगे।
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