Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का प्रेरणादायक संदेश: “सेवा ही सच्ची अध्यात्मिकता, Nation First ही राष्ट्रनिर्माण का मार्ग”

Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी वर्ष पर आयोजित किए गए विशेष समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। Prasanthi Nilayam में आयोजित इस भव्य आयोजन में उन्होंने सेवा, अध्यात्म और राष्ट्रनिर्माण के गहरे संबंधों पर प्रकाश डाला। राष्ट्रपति ने कहा कि Sri Sathya Sai Baba ने spirituality को selfless service और personal transformation से जोड़कर दुनिया भर में करोड़ों लोगों को मानवता की नई राह दिखायी है।

Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

उनका स्पष्ट संदेश था कि Nation building is the duty of all organisations in accordance with the spirit of Nation First। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सामूहिक भावना Viksit Bharat 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने में निर्णायक भूमिका निभाएगी।

Sri Sathya Sai Baba का जीवन, दर्शन और कार्य एक आध्यात्मिक आंदोलन ही नहीं, बल्कि एक वैश्विक सेवा मिशन भी रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, मानव कल्याण और आध्यात्मिक उत्थान इन सभी क्षेत्रों में उनका योगदान असाधारण रहा है।

उनकी जन्म शताब्दी का यह विशेष वर्ष केवल उनके जीवन के उत्सव का अवसर नहीं है, बल्कि उन आदर्शों को पुनः अपनाने का भी समय है जिनके माध्यम से उन्होंने लाखों लोगों को Love All, Serve All का संदेश दिया था। Puttaparthi, जो दशकों से Sri Sathya Sai Baba की शिक्षाओं का केंद्र रहा है, इस अवसर पर भक्ति, प्रेरणा और सेवा की भावना से ओतप्रोत दिखाई दिया।

राष्ट्रपति मुर्मु का प्रेरणादायक भाषण

अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि Sri Sathya Sai Baba ने दुनिया को यह सिखाया कि सच्ची अध्यात्मिकता तभी meaningful है जब वह निस्वार्थ सेवा के रूप में प्रतिफलित हो। राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि Sri Sathya Sai Baba ने सेवा को जीवन का केंद्र बना दिया। उन्होंने अस्पतालों में निःशुल्क चिकित्सा, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल परियोजनाएँ, शिक्षा को accessible बनाने के लिए संस्थानों की स्थापना और समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए अनेक पहल की शुरुआत की।

ये सभी कल्याणकारी कदम अध्यात्म के उस रूप को दर्शाते हैं जो मानवता को जोड़ता है और समाज को आगे बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि Baba का यह संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, खासकर तब जब भारत Viksit Bharat 2047 की राह पर अग्रसर हो चुका है।

Sri Sathya Sai Baba की विरासत—Global Impact और Social Transformation

Sri Sathya Sai Baba का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं रहा। विश्वभर में उनके लाखों अनुयायियों, सेवकों और संस्थानों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तनकारी कार्य किए हैं। उनके द्वारा स्थापित प्रमुख प्रकल्पों में शामिल हैं:

  • Sri Sathya Sai Institute of Higher Learning- जहाँ शिक्षा को character building के साथ जोड़ा गया।
  • Super Specialty Hospitals- जहाँ बिना किसी शुल्क के उन्नत चिकित्सा उपलब्ध कराई जाती है।
  • Drinking Water Projects- जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों में लाखों लोग लाभान्वित हुए।
  • Sri Sathya Sai Global Service Organizations- जो humanitarian services को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाते हैं।

राष्ट्रपति ने माना कि Sri Sathya Sai Baba का यह मानवीय दर्शन दुनिया को यह सिखाता है कि परिवर्तन व्यक्तिगत स्तर से शुरू होता है और समाज तक विस्तार पाता है।

‘Nation First’- राष्ट्र निर्माण की सामूहिक जिम्मेदारी

राष्ट्रपति मुर्मु ने एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि देश को विकसित बनाने का दायित्व केवल सरकार या कुछ संस्थानों का नहीं हो सकता है, बल्कि हर संगठन, हर नागरिक और समाज के हर हिस्से का है।

उनके शब्दों में—

“Nation building is the duty of all organisations in the spirit of ‘Nation First’. Their contribution will help achieve our goal of making India Viksit Bharat 2047.”

उन्होंने देश की विकास यात्रा को तीन आधारों से जोड़कर समझाया-

  • Selfless Service- जो जितना अधिक समाज सेवा करेगा, उसकी उतनी ही तेजी से सामाजिक प्रगति होगी।
  • Spiritual Strength- आध्यात्मिक चेतना इंसान को विनम्र, संवेदनशील और कर्तव्यनिष्ठ बनाती है।
  • Collective Participation- सभी संस्था चाहे वे धार्मिक हों, सामाजिक हों या शैक्षिक यदि राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानें, तो विकास की गति दोगुनी हो जाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि Viksit Bharat केवल आर्थिक विकास नहीं, बल्कि नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि का भी लक्ष्य है।

शताब्दी समारोह—आध्यात्मिक उत्साह और मानवीय भावनाओं का संगम

Prasanthi Nilayam में आयोजित इस कार्यक्रम में हजारों भक्तों, स्वयंसेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। समारोह में आध्यात्मिक प्रवचन, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ, सेवा समर्पित व्यक्तियों का सम्मान, Sai Baba के जीवन पर विशेष प्रदर्शनी और देश-विदेश से आए प्रतिनिधियों का सहभाग सम्मिलित था।

Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

सिकंदराबाद और Puttaparthi दोनों केंद्र वर्षों से Sri Sathya Sai Baba की teachings और सेवाकार्यों को निरंतर आगे बढ़ा रहे है, और यह शताब्दी आयोजन उसी भावना का विस्तार था।

निष्कर्ष

Sri Sathya Sai Baba की जन्म शताब्दी एक व्यक्ति की स्मृति का उत्सव के साथ एक विचारधारा, सेवा, प्रेम, विनम्रता और राष्ट्रनिर्माण का पुनर्पुष्टि भी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का प्रेरणादायक संदेश स्पष्ट करता है कि सच्चा विकास तभी संभव है जब अध्यात्म और सेवा दोनों साथ मिलकर कार्य करें।

भारत जब Viksit Bharat 2047 के लक्ष्य की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है, तब Sri Sathya Sai Baba की शिक्षाएँ और राष्ट्रपति मुर्मु का मार्गदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करते हैं। यह शताब्दी समारोह देश को यह याद दिलाता है कि सेवा के एक क्रिया ही नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण का सबसे पवित्र मार्ग है।

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