“Systems Thinking”: भविष्य की रणनीति से लेकर सामाजिक बदलाव तक – Mihir Mathur के विचारों ने दिखाई समग्र विकास की नई दिशा

आज की दुनिया में जहां निर्णय-निर्माण और रणनीतिक सोच लगातार जटिल होती जा रही है, वहीं Systems Thinking जैसे अवधारणाएँ भविष्य के लिए नई रोशनी लेकर आ रही हैं। इसी विषय पर Mr. Mihir Mathur, जो कि DESTA Research LLP और Dharinya Systems Change के संस्थापक हैं। उन्होंने ने हाल ही में HDMC21 कार्यक्रम के प्रतिभागियों को Systems Thinking and its Real-World Applications पर एक प्रेरक सत्र दिया।

Systems Thinking भविष्य की रणनीति
Systems Thinking भविष्य की रणनीति

यह सत्र CDM IDS (College of Defence Management, Institute of Defence Studies) में आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को पारंपरिक सोच से आगे बढ़कर holistic और integrated approaches अपनाने की प्रेरणा दी गई।

Systems Thinking: पारंपरिक सीमाओं से परे एक दृष्टिकोण

Mihir Mathur ने अपने सत्र में इस बात पर ज़ोर दिया कि Systems Thinking एक ऐसा सिद्धांत नहीं तथा दृष्टिकोण है जो जटिल प्रणालियों को समझने और उनसे जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजने के तरीके को बदल देता है। उन्होंने बताया कि यह सोच किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं होता है बल्कि यह military strategy, education, urban design, healthcare, और यहां तक कि everyday decision making में भी गहरी भूमिका निभा सकती है।

Systems Thinking का मुख्य आधार interconnections, feedback loops, and holistic perspectives है। इसका अर्थ यह है कि किसी भी समस्या को केवल उसके एक हिस्से से नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम से जोड़कर देखा जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक शहर में यातायात जाम केवल ट्रैफिक पुलिस की समस्या नहीं है, बल्कि यह urban planning, public transport policies, और citizen behavior से गहराई से जुड़ा है। ऐसे में समाधान भी व्यापक और समन्वित दृष्टिकोण से ही संभव हो सकता है।

सैन्य रणनीति से समाज तक Systems Thinking की भूमिका

इस सत्र में विशेष रूप से यह दिखाया गया कि कैसे Systems Thinking का उपयोग military operations and defence strategy में किया जा सकता है। आधुनिक युद्ध हथियारों के साथ सूचनाओं और रणनीतिक सोच से जीते जाते हैं। ऐसे में Systems Thinking सैन्य निर्णयकर्ताओं को यह समझने में मदद करता है कि युद्ध के हर निर्णय का असर एक बड़े सिस्टम पर पड़ता है, चाहे वह logistics, intelligence, या civil impact ही क्यों न हो।

Mihir Mathur ने बताया कि Systems Thinking का उपयोग national security, policy making, governance, और climate resilience में भी तेजी से बढ़ रहा है। उनके अनुसार, भारत जैसे विविध सामाजिक ढांचे वाले देश में Systems Thinking अपनाना एक game-changer साबित हो सकता है, क्योंकि यह fragmented decision making को रोककर interdisciplinary collaboration को बढ़ावा देता है।

Education, Health और Urban Development में Systems Thinking का प्रभाव: Mihir Mathur

Mihir Mathur ने यह भी स्पष्ट बताया कि education और healthcare जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भी Systems Thinking की आवश्यकता तेजी से महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली को केवल information delivery से आगे बढ़ाकर critical and systems based learning बनाने की आवश्यकता है, ताकि विद्यार्थी समस्याओं को root-cause level पर समझ सकें।

Mihir Mathur के विचारों ने दिखाई समग्र विकास की नई दिशा
Mihir Mathur के विचारों ने दिखाई समग्र विकास की नई दिशा

स्वास्थ्य के क्षेत्र में Systems Thinking का उपयोग महामारी जैसी जटिल परिस्थितियों को संभालने में सहायक हो सकता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 के दौरान यह देखा गया कि स्वास्थ्य संकट में medical infrastructure के साथ economy, logistics, psychology, and public behavior सब शामिल थे। ऐसे में, Systemic understanding ने नीति निर्माताओं को व्यापक समाधान तैयार करने में मदद की।

इसी तरह, शहरी विकास में भी Systems Thinking अपनाने से शहरों को अधिक sustainable, resilient, और human-centric बनाया जा सकता है।
Mihir Mathur ने कहा कि “अगर शहर केवल इमारतों और सड़कों का समूह नहीं, बल्कि एक जीवंत पारिस्थितिकी (living ecosystem) हैं, तो उनकी योजना भी उसी दृष्टिकोण से होनी चाहिए।”

DRIWE Initiative और Systems Thinking की सामाजिक प्रासंगिकता

इस सत्र में DRIWE (Developing Responsible Citizens by Investing in Women Empowerment) कोर्स के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। Mihir Mathur ने बताया कि Systems Thinking को महिलाओं के सशक्तिकरण जैसे सामाजिक अभियानों में भी लागू किया जा सकता है।

उन्होंने यह कहा कि समाज में लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए एक नीति या स्कीम पर्याप्त नहीं हो सकता है, बल्कि पूरे सामाजिक सिस्टम जैसे शिक्षा, रोजगार, और सांस्कृतिक मान्यताओं को एक साथ संगठित होने की आवश्यकता होती है। इसलिए, Systems Thinking सामाजिक न्याय, समान अवसर, और स्थायी विकास के लिए एक प्रभावी टूल बन सकता है।

निष्कर्ष

Mihir Mathur का यह सत्र अकादमिक, आधुनिक नीति-निर्माण और सामाजिक नेतृत्व की दिशा में एक परिवर्तनकारी सोच की शुरुआत था। Systems Thinking यह सिखाता है कि किसी भी समस्या को अलग-अलग हिस्सों में नहीं, बल्कि एक समग्र पारिस्थितिकी (integrated ecosystem) के रूप में समझा जाना चाहिए। Defence, Education, Health, Urban Planning, Governance हर क्षेत्र में इस दृष्टिकोण की भूमिका तेजी से बढ़ रही है।

यह सोच जटिल समस्याओं को हल करने में मदद करती है, और एक ऐसे समाज के निर्माण में भी योगदान देती है जो संतुलित, संवेदनशील और स्थायी हो। भारत में जब सरकार, शिक्षा संस्थान, और समाज इस प्रकार की सोच को अपनाने लगेंगे, तब सचमुच Systems Thinking for Sustainable Change का सपना साकार होगा और यही संदेश पहुंचाना इस सत्र का वास्तविक लक्ष्य था।

ऐसे ही और खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद।


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