हरिद्वार में University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का वक्तव्य

हरिद्वार स्थित University of Patanjali में आयोजित दूसरे Convocation Ceremony में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इस अवसर पर उन्होंने शिक्षा को रोजगार प्राप्ति का माध्यम के साथ universal brotherhood और global peace का सेतु बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की शिक्षा प्रणाली उस वक्त पूर्ण कही जा सकती है जब उसमें ancient Vedic knowledge और cutting-edge scientific research दोनों का संतुलित समावेश किया जाएगा।

University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

भारत की शिक्षा: परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम

अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि भारत की पहचान आर्थिक विकास से ही नहीं, बल्कि उसकी गहरी वैचारिक परंपरा और मानवता आधारित दृष्टिकोण से भी होती है। उन्होंने University of Patanjali की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान Indian Knowledge Tradition को आधुनिक युग के संदर्भों में पुनर्जीवित करने का कार्य कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में शिक्षा का उद्देश्य डिग्री प्राप्त करने के साथ उसे मानवता, सह-अस्तित्व और करुणा के मूल्यों को भी बढ़ावा देने का भी होना चाहिए। यही कारण है कि जब ancient Vedic wisdom को modern scientific temperament से जोड़ा जाता है, तब शिक्षा सच्चे अर्थों में राष्ट्र और विश्व दोनों के लिए कल्याणकारी साबित होती है।

वैदिक ज्ञान: भारतीय शिक्षा की आत्मा

राष्ट्रपति ने अपने भाषण में यह भी स्पष्ट कहा कि भारत के ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्ष पहले ही जीवन और ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्यों को समझने का प्रयास किया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ऋषि पतंजलि ने योग, आयुर्वेद और व्याकरण के माध्यम से जीवन को समग्रता से देखा — यह ज्ञान आज भी वैज्ञानिक दृष्टि से प्रासंगिक साबित हो रही है।

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि वैदिक ज्ञान केवल पूजा-पाठ या आध्यात्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन की वास्तविक समस्याओं जैसे मानसिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक सामंजस्य के समाधान का आधार भी प्रदान करता है। आज की पीढ़ी को आवश्यकता है कि वह इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक अनुसंधान और innovation के साथ जोड़े ताकि शिक्षा का हर रूप को जीवन उपयोगी बनाया जा सके।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़ी शिक्षा की आवश्यकता

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि जब शिक्षा प्रणाली में cutting-edge scientific research को उचित स्थान मिलता है, तब यह तकनीकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है और मानवता को भी नई दिशा भी देती है। उन्होंने कहा कि भारत का उद्देश्य तकनीकी रूप से सक्षम युवा को तैयार करना है ही, साथ ही साथ एक ऐसे नागरिक का निर्माण करना है जो अपने ज्ञान का उपयोग global challenges– जैसे climate change, inequality और mental health के समाधान के लिए कर सकें।

उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा में interdisciplinary approach को अपनाने की अत्यधिक आवश्यकता है, जहाँ ancient philosophy, environmental science, data technology और ethical values एक-दूसरे के पूरक बन सके। इस कार्य से एक ऐसा balanced education model तैयार होगा जो भारत के लोगों को भारतीय संस्कृति की ओर लेकर जाएगा और वैश्विक भविष्य के लिए भी प्रासंगिक होगा।

University of Patanjali का योगदान

University of Patanjali ने शिक्षा के इस नए दृष्टिकोण को अपनाते हुए योग, आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और वैज्ञानिक अनुसंधान को एक साथ जोड़ने का काम किया है। यहाँ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर शोध किया जा रहा है और यह संस्थान भारतीय विचारधारा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में भी अग्रसर है।

University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से कहा कि वे character building को शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानने पर बल दें। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि भारत तभी विश्वगुरु बन सकता है जब उसके विद्यार्थी बुद्धिमान, संवेदनशील और नैतिक हों।

निष्कर्ष

University of Patanjali के इस दीक्षांत समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत की शिक्षा अब एक नए युग में प्रवेश कर रही है – ऐसा युग जिसमें tradition और technology, spirituality और science, दोनों एक साथ चलेंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का यह संदेश भारत की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक दूरदर्शी दिशा निर्धारित करता है — जहाँ ज्ञान परीक्षा का विषय नहीं, अपितु जीवन का उद्देश्य बनता है।

भारत की यही knowledge tradition आने वाले वर्षों में देश के युवाओं को नई पहचान देगी, और वैश्विक शिक्षा के क्षेत्र में भी भारत को एक अग्रणी स्थान पर स्थापित करेगी।

ऐसे ही और खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद।


Discover more from Satyavarta

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

2 thoughts on “हरिद्वार में University of Patanjali की दीक्षांत सभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का वक्तव्य”

Leave a Reply