भारत का अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय: ISRO LVM3-M5 के साथ लॉन्च करने जा रहा देश का सबसे भारी Communication Satellite CMS-03 (GSAT-7R)

भारत का अंतरिक्ष विज्ञान एक और ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना जब Indian Space Research Organization (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से अपने सबसे भारी communication satellite CMS-03 (GSAT-7R) को LVM3-M5 रॉकेट के माध्यम से सफलतापूर्वक लॉन्च करने जा रहा है। यह लॉन्च भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम में एक तकनीकी उपलब्धि के साथ भारत की बढ़ती space communication capabilities और defence preparedness को भी नई ऊंचाइयों पर लेकर जाने वाला है।

ISRO लॉन्च करने जा रहा देश का Communication Satellite CMS-03
ISRO लॉन्च करने जा रहा देश का Communication Satellite CMS-03

LVM3-M5: भारत का सबसे भरोसेमंद heavy-lift launcher

LVM3, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था, ISRO का सबसे शक्तिशाली launch vehicle है, जो 4 टन से अधिक वज़न वाले satellites को geostationary orbit तक पहुंचाने की क्षमता रखता है। इस लॉन्च में LVM3-M5 मिशन को उपयोग में लाया गया, जिसे CMS-03 को Geo-transfer orbit (GTO) में स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

इस रॉकेट की विशेषता इसकी तीन-stage संरचना है —जिसमें दो solid strap-on boosters (S200), एक liquid core stage (L110) और एक cryogenic upper stage (C25), जो इसे भारत के सबसे विश्वसनीय heavy launchers में से एक बनाती है।

ISRO के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह मिशन भविष्य के कई high-capacity communication satellites की राह खोलेगा, जिनका उपयोग न केवल नागरिक संचार में बल्कि strategic defence communications में भी किया जाएगा।

CMS-03 (GSAT-7R): भारतीय संचार प्रणाली की रीढ़

CMS-03, जिसे GSAT-7R के नाम से भी जाना जाता है, को विशेष रूप से भारत की defence communication network को सशक्त करने के लिए विकसित किया गया है। यह उपग्रह GSAT-7A और GSAT-7B जैसे पहले से सक्रिय defence satellites की श्रेणी का अगला संस्करण है, लेकिन तकनीकी रूप से कहीं अधिक उन्नत भी है।

CMS-03 का वज़न लगभग 4,000 किलोग्राम है और इसे geostationary orbit (36,000 km) पर स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है। यह उपग्रह भारत की तीनों सेनाओं — थलसेना, वायुसेना और नौसेना — को एकीकृत और सुरक्षित संचार नेटवर्क प्रदान करेगा। इसके अलावा, यह data relay, navigation support, और satellite-based surveillance जैसी critical सेवाओं में भी अहम भूमिका निभाएगा।

ISRO ने बताया कि इस उपग्रह में इस्तेमाल की गई communication technology भारत को वैश्विक defence communication नेटवर्क में आत्मनिर्भर बनाएगी। इसकी bandwidth और coverage capabilities भारत के समुद्री सीमाओं और remote areas तक seamless connectivity सुनिश्चित करेंगी।

भारत की space communication शक्ति में ऐतिहासिक बढ़त

CMS-03 का सफल परीक्षण से भारत उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में आ जाएगा है जिनके पास dedicated defence communication satellites हैं। यह मिशन भारत की Atmanirbhar Bharat पहल को और भी मजबूत करेगा, क्योंकि इस सैटेलाइट का डिज़ाइन, निर्माण और एकीकरण पूरी तरह भारतीय इंजीनियरों और वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है।

इस मिशन के साथ ISRO एक बार फिर साबित करेगा कि भारत अब केवल launch services में ही नहीं, बल्कि high-end satellite technology के क्षेत्र में भी अग्रणी बन चुका है। यह उपलब्धि भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक बड़ा boost होगा, जो अब commercial satellite manufacturing और global communication partnerships की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगा।

इसके अलावा, इस मिशन की सफलता के साथ भारत के New Space Policy 2023 के तहत निजी क्षेत्र को भी communication satellite domain में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

ISRO की दूरदर्शी योजना: भविष्य की ओर एक और कदम

ISRO के अनुसार, CMS-03 के बाद कई और high-capacity communication satellites लॉन्च करने की योजना है, जिनका उद्देश्य भारत की digital connectivity और defence communication infrastructure को और अधिक मजबूत बनाना है।

इस मिशन के लिए Satish Dhawan Space Centre (SDSC), श्रीहरिकोटा को एक बार फिर लॉन्च साइट के रूप में चुना गया। लॉन्च का समय 17:26 IST तय किया गया है, और रॉकेट द्वारा अपेक्षित समय पर उड़ान भरकर मिशन की सफलता का नया इतिहास रचने का समय आ चुका है।

निष्कर्ष

LVM3-M5 मिशन और CMS-03 सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण भारत के लिए केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संचार आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम होने वाला है।

यह लॉन्च भारत को न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष मंच पर एक सशक्त उपस्थिति प्रदान करने वाला है। ISRO की यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब self-reliant, strategically advanced और technologically futuristic दिशा में आगे बढ़ चुका है।

CMS-03 के साथ भारत ने यह संदेश स्पष्ट करने वाला है कि— देश अब केवल अंतरिक्ष तक पहुँचने वाला नहीं, बल्कि उसे नियंत्रित करने वाला राष्ट्र बन चुका है।

ऐसे ही और खबरों के लिए हमसे जुड़े रहें। धन्यवाद।


Discover more from Satyavarta

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

1 thought on “भारत का अंतरिक्ष इतिहास में नया अध्याय: ISRO LVM3-M5 के साथ लॉन्च करने जा रहा देश का सबसे भारी Communication Satellite CMS-03 (GSAT-7R)”

Leave a Reply